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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पांच अप्रकाशित लेख संग्राहक-पूज्य मुनिमहाराज श्री कांतिसागरजी, साहित्यालंकार पुरातन जैन ज्ञानभंडारोंमें अभी बहुतसे ऐसे साधन विद्यमान हैं जिनका प्रकाशन भारतीय संस्कृति व इतिहासके लिये आवश्यक है । सौभाग्यकी बात है कि वर्तमान समयके कतिपय विद्वान इस ओर अपना योग प्रदान कर रहे हैं । पुरातन विस्तृत ग्रन्थोंके अतिरिक्त फुटकर पन्नोंमें भी कभी कभी इतिहासोपयोगी सामग्री मिल आतो है । ऐसे कई पत्र मैंने मध्यप्रान्त और.बरारके ज्ञानभंडारोंमें देखे हैं। __ यहां पर जो पांच अप्रकाशित लेख प्रकट किये जाते हैं वे मेरे हस्तलिखित पुस्तकसंग्रहकी एक नोटमेंसे लिये हैं। नोटबुकसे मालूम होता है कि ये लेख बिकानेरके किसी यतिने संग्रहीत किये हैं। ये लेख बिकानेर व मुर्शीदाबादसे संबंधित हैं, परन्तु जहांसे ये लेख लिये गये हैं वह मूल पाषाण या प्रतिमा इस समय कहां है यह मुझे विदित नहीं है। अतः दोनों नगरनिवासी इतिहासप्रेमी महानुभाव इस पर प्रकार डालें । मूल लेख इस प्रकार हैं ॥ श्रीपार्थजिनो जयति ॥ वर्षे शैलघनाघनेभवसुधासंख्ये शुचावर्जुने, . पक्षे सौम्यसुवासरे हि दशमीतिथ्यां जिनौको मुदा । श्रीसीमंदधरस्वामिनः सुरुचिरं श्रीविक्रमे पत्तने, - श्रीसकेन सुकारितं वरतरं जीयाचिरं भूतले ॥१॥ श्रीराठोडनभोऽर्कसन्निभमहान् विख्यातकीर्तिस्फुरन् श्रीमत्सरतसिंहकस्समभवत्यागेन ख्यातो भुवि । तत्पट्टे जनपालनैकनिपुणः प्रोद्यत्प्रतापारुण स्तस्मिन् राज्ञि जयप्रतापमहिमः श्री रत्नसिंहाभिधः ॥२॥ जज्ञे सूरिवरा बृहत्खरतराः श्रीजैनचन्द्राह्वयाः, ख्यातास्ते क्षितिमण्डले निजगुणैस्सद्धर्मसंदेशकाः । तत्पट्टोत्पलबोधनैककिरणैस्सत्साधुसंसेवितैः, ... श्रीमतैजिनहर्षिमुरिमुनिपैर्भधारकैर्गच्छपैः ॥३॥ कोविदोपासितै क्षैः, कामकंसजनाईनैः । प्रतिष्ठितमिदं चैत्यं, नंदताद्वसुधातले ॥४॥ [त्रिभिर्विशेषकम् ] श्रीमबृहत्खरतरगच्छीयसंविग्नोपाध्यायश्रीक्षमाकल्याणगणीनां शिष्य पं. धर्मानन्दमुनेरुपदेशात् ॥ श्रीभूयात्सर्वेषां ॥ ॥ संवत् १६७७ जेठ बदि ५ गुरौ सं. अमरसी भार्या अमरादे पु. सा। आसकरण For Private And Personal Use Only
SR No.521606
Book TitleJain_Satyaprakash 1945 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1945
Total Pages28
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size14 MB
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