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________________ कांगड़ा शैली में नायिका-भेद अंकन रीतिका गर्ग भारतीय संस्कृति अत्यन्त प्राचीन है तथा इसकी सबसे बड़ी विशेषता समन्वय की है। भारतीय कलाकार भी मानव-सृष्टि को सम्पूर्ण-सृष्टि का ही एक अंग मानता है, इसी से उसकी कला में भी मानवीय तथा प्राकृतिक जगत का समन्वय प्राप्त होता है। उसके अनुसार प्रकृति का सौन्दर्य अतुलनीय तथा अनुपम है। प्रकृति में सौन्दर्य का अक्षय भण्डार है तथा चित्रकला में सौन्दर्य की भावना को प्राण संचार करने वाली भावना कहा गया है। प्रकृति के साथ ही भारतीय कलाकार नारी के विलक्षण सौन्दर्य से भी प्रेरित होकर कला-सृजन करता आ रहा है। भारतीय संस्कृति में नारी का स्थान सदैव ऊपर रहा है, इसी कारण कहा गया है कि - यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता । अर्थात् जहाँ स्त्री का सम्मान होता है, वहाँ देवता प्रसन्न होते हैं । नारी के सौन्दर्य की तुलना प्रकृति के विभिन्न अवयवों से करते हुए भी भारतीय चित्रकारों ने अनेक कलाकृतियों का निर्माण किया है। प्राचीनकाल से लेकर वर्तमान समय तक किसी न किसी प्रसंग में नारी को कला में सौन्दर्य के आदर्श रूप में प्रस्तुत किया जाता रहा। भारतीय विचार से नारी के शारीरिक सौन्दर्य को आत्मिक उत्थान का भाव प्रदर्शन करने हेतु प्रयुक्त किया जाता है। उसके चित्रण में सौम्यता, बुद्धिमत्ता तथा रमणी सुलभ रहस्य को भी स्थान मिला है । यद्यपि इन सभी परम्पराओं का पालन करते हुए भारतवर्ष की प्रत्येक शैली में नारी रूप सौन्दर्य का अधिकाधिक चित्रण हुआ है किन्तु १८वीं शती के उत्तरार्द्ध में कांगड़ा घाटी में पुष्पवित कांगड़ा चित्रशैली में इस प्रकार के नारी अंकन का जो कार्य हआ है उसे निःसन्देह ही सर्वश्रेष्ठ नारी चित्रण के अन्तर्गत रक्खा जा सकता है। यहाँ के कलाकारों ने नारी को केन्द्र बिन्दु मानकर उसकी विभिन्न अवस्थाओं का जो चित्रण किया है वह निःसन्देह विलक्षण है। यहाँ के चित्रकारों ने नायिका-भेद पर आधारित अनेक चित्रों का निर्माण कर कला में अपना अतुलनीय योगदान दिया। कांगड़ा शैली में मुगल और परम्परागत प्राचीन भारतीय कला एवं राजस्थानी हिन्दू कला और
SR No.520791
Book TitleSambodhi 2018 Vol 41
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages256
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size20 MB
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