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________________ 206 विजयशंकर शुक्ल SAMBODHI १९९४ १९९६ रूप में हुआ था उनकी सूची का प्रकाशन डॉ. जितेन्द्रभाई शाह के सम्पादन में ३ भागों में हुआ। सूची का प्रकाशन शारदा बेन चिमनभाई एजूकेशनल रिसर्च सेण्टर, अहमदाबाद से १९९१ में किया गया । : संस्कृत साहित्य परिषद्, कलकत्ता की पाण्डुलिपियों की सूची का प्रथम भाग तन्त्र की ८९० पाण्डुलिपियों की सूची के साथ प्रकाशित हुआ। इस भाग का संकलन पं. मधुसूदन चक्रवर्ती ने भूमिका के साथ किया एवं डॉ. हेरम्ब चटर्जी एवं डॉ. सत्यरञ्जन बनर्जी ने इस भाग से सम्बन्धित सूची प्रस्तुत की । इसकी विस्तृत भूमिका में भारत में तन्त्र के उद्भव एवं विकास पर सम्पादकों ने विशेष सामग्री प्रस्तुत की है। इस सूची का द्वितीय भाग २००० में साहित्य परिषद् ग्रन्थमाला-१४ के अन्तर्गत कोष से सम्बन्धित पाण्डुलिपियों के साथ किया गया । इस भाग का संकलन भी पं. चक्रवती ने तथा सम्पादन महामहोपाध्याय डॉ. हेरम्बनाथ चटर्जी ने किया । : बर्दवान विश्वविद्यालय के केन्द्रीय पुस्तकालय के अन्तर्गत अभिलेखीय प्रकोष्ठ में उपलब्ध १८० पाण्डुलिपियों के Descriptive Catalogue of Sanskrit Manuscripts (भाग-३) का सम्पादन डॉ. अमरनाथ भट्टाचार्य ने किया । जिसमें नव्यन्याय से सम्बन्धित पाण्डुलिपियाँ हैं । यहाँ की पाण्डुलिपियों की दो सूची भागएक एवं दो का प्रकाशन पहले किया जा चुका है जिसके सम्पादन का श्रेय प्रो. सिद्धेश्वर चट्टोपाध्याय को है जिन्होंने यहाँ के हस्तलेखों को विद्वत्मण्डली के सामने प्रस्तुत किया। तृतीय भाग के माध्यम से नव्यन्याय की परम्परा जो मिथिला में आचार्य गंगेश के नेतृत्व में आगे बढ़ती हुई नवद्वीप में आकर एक उच्चतम बिन्दु पर स्थापित हुई, की अनेक पाण्डुलिपियाँ देखी जा सकती हैं । इस परम्परा के श्रेष्ठ आचार्य पं. जगदीश तर्कालङ्कार, पं. मथुरानाथ तर्कवागीश एवं पं. गदाधर भट्टाचार्य के नेतृत्त्व का इन सूचियों के माध्यम से आभास होता है। ये सभी विद्वान इस क्षेत्र में पं. रघुनाथ शिरोमणि के अनुगामी थे। : उत्तर एवं दक्षिण कर्णाटक तिगालारी लिपि की पाण्डुलिपियों के लिये प्रसिद्ध है। विशेष रूप से यहाँ डाट (एक विशेष प्रकार का हस्तनिर्मित कागज) की पाण्डुलिपियों का संग्रह शिमोगा विश्वविद्यालय के अन्तर्गत केळडि संग्रहालय में है। केळडि संग्रहालय की लगभग पाँच हजार पाण्डुलिपियों के सूचीकरण का कार्य डॉ. केळडि गुण्डा ज्वायस् ने प्रारम्भ किया जिसकी १११५ पाण्डुलिपियों की प्रथम सूची का Catalogue of Ancient Tigālāri Palm leaf Manuscripts in India, Volume-1 (South India) का प्रकाशन हुआ । इसका सम्पादन डो. ज्वायस् ने किया । तिगालारी लिपि की अधिकतर पाण्डुलिपियाँ व्यक्तिगत संग्रहों में हैं जिनमें से कुछ ओरियण्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट मैसूर ने संगृहीत की हैं। विषय की दृष्टि से इनमें वेद, आगम, तन्त्र ज्योतिष, गणित के साथ-साथ लोकगीतों से सम्बन्धित पाण्डुलिपियाँ भी हैं । १९९७ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520786
Book TitleSambodhi 2013 Vol 36
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJitendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2013
Total Pages328
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size7 MB
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