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________________ 164 રસિલા કડીઆ SAMBODHI ४५. ल अभिरामनी दावे [(वे)]चातु आप्यू सही । ए घरनो विरशि हीसादार जे को आवे तेहने घरनो वेचनार - ४६. समझावे प्रीछवे वार सही । हवे ए घर मधे थकी नवनीधांन प्रगट थाय तेहनो समंध साह अमरदत्त त - ४७. था अमरदत्तनी ओलाध मधे जे को होय तेहनो समंध होय सही । वेचनारनि कशो सरसमंध नही। ४८. ए घरना खाल प्रणाल नेव नीछारो वाडो क्षार कुपिका जालि तथा बारी तिरकस सर्व पूर्व रीत्य होय सही। 卐 १ अत्र मतू बई कलणबई सा. यधमलजीणी हाजुरी ? (दीकरी ?) खत उपर लखत सही ३ १२५०) अकबर स १ मा मी ली मणी पुत्री पनी १. सा. मणी क (पु ?) स पनीबई कलणी बई ___णी दीकरो ? (हीदी करो ?) मत ऊपर लखत सी अत्र साक्ष १. १ दा. सांरजमल खांतीदा लखत २. १ पांनजी रतन साख धणी बे आ हजूर दा. खीमजी ३. १ सुरमदे सोमकरण सही बे धणी रेहेजूर करी छे ४. १ सकलचंद सोमकरण सा ख धणी हजुर करी छे ५. १ गेलजी वाघजी साख धणी बे रे हजुर करी छे. ६. १ ली. खीमजी रवजी सांखे धणी २ ने दाईने साख करी छे ७. १ वमलदाइ हीरजी साख धणी बे मे हजु र करी छे ली नेमीदास ८) बाई सालार्ताना बाई० स(सा) खा(ख) बाई कलाणबाई. दीकरी स (सा) खे
SR No.520782
Book TitleSambodhi 2009 Vol 32
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ B Shah, K M patel
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2009
Total Pages190
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size19 MB
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