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________________ Vol. XXXII, 2009 पथ प्रदर्शक-महाराजा सूरजमल 111 तथा अन्य हिन्दू त्यौहारों पर राजा सूरजमल सदैव गोवर्धन की नियमित पूजा करते थे ।२१ भरतपुर के प्रसिद्ध कवि उदयराम कृत 'गिरवर विलास' नामक पुस्तक से ज्ञात होता है कि राजा सूरजमल के दरबार में पं. कालूराम कुल पुरोहित था । उन्होंने अपने राज्य में दान का एक पृथक विभाग खोल दिया था । जिसके अध्यक्ष श्री सोमनाथ थे, जिन्हें दानाध्यक्ष भी कहा जाता था ।२२ .. इस क्षेत्र में गंगापूजा और भक्ति भी मत्स्य भी प्रदेश के अन्य प्रदेशों की भाँति थी । मानसी गंगा प्राचीन काल में एक बरसाती नदी थी जिसे गोवर्धन के धार्मिक क्षेत्र में उसे पवित्र समझा गया जैसा कि 'ब्रज भक्ति विलास' में वर्णन तथा “गिरिवर विलास' से राजा-महाराजाओं के धार्मिक प्रभाव के अतिरिक्त मानसी गंगा पर किये गये सर्वप्रथम दीपदान का वर्णन है । जिसमें राजा सूरजमल ने दिल्ली की लूट के उपरान्त अपना विजयोत्सव गोवर्धन में मनाया था उस समय दिवाली के अवसर पर उन्होंने "श्री हरदेव जी" के मन्दिर में पूजन और मानसी गंगा पर बृहद दीपदान किया जिसकी परम्परा में वर्तमान में भी दीपदान किया जाता है ।२३ राज्याश्रित साहित्यकार एवं कवियों का सम्मान - हिन्दी के कवियों ने अनेक छायानुवाद प्रस्तुत किये जिसमें सोमनाथ का 'रसपीयूषनिधि', रसानन्द का 'व्रजेन्द्रविलास' और कलानिधि का 'अलंकार कलानिधि' तो सर्वांगपूर्ण ग्रन्थ है । जिसमें रीतिकालीन कवियों में आचार्यत्व की दृष्टि से सोमनाथ का 'रसपीयूषनिधि' महत्व रखता है। यह ग्रन्थ काव्य सम्बन्धी सम्पूर्ण विषयों से समलंकृत है ।२४ प्रतापसिंह व राजा सूरजमल दोनों भाईयों के लिए ग्रन्थ रचानायें की। यदि सोमनाथ का समुचित अध्ययन किया जाय तो उनकी प्रतिभा२६ साहित्य पारखियों को आश्चर्य चकित करने वाली है व शोधार्थियों के शोध का विषय है। सोमनाथ की प्रसिद्धि का पता हस्तलिखित पुस्तकों में 'गोविन्दानंदघन' की प्रतियों में ३०० से ३१० तक के पत्र थे । जो प्रसिद्धी के प्रमाण है। उनके लिखे ग्रन्थों में भरतपुर राजकुल का वर्णन तथा महाराजा बदनसिंह के दोनों पुत्रों का गौरवशाली कुशल राज्य कार्य संभालने के अतिरिक्त आश्रय में अनेक कवियों का पता चलता है ।२७ सूदन भरतपुर के सुप्रसिद्ध राज कवि सूदन द्वारा रचित 'सुजान चरित्र' वीर रस भरतपुर के राजा सूरजमल की वीरता का परिचय है । ब्रज साहित्य प्रेमी और कवियों के आश्रयदाता राजा सूरजमल के दरबार में प्रमुख थे। उन्होंने 'सुजान चरित्र' में अपना परिचय इस प्रकार दिया है 'मथुरापुर सुभ-धाम, पिता बसन्त सुनाम' मथुरा निवासी मथुरा के चौबे थे। काव्य में युद्ध का चित्र उपस्थित करते समय कवियों ने ओजपूर्ण शैली का ऐसा संयोग किया है जो कि घटना की वास्तविकता का आनन्द प्रदान करती है । सूदन का 'सूजान चरित्र' इस विषय में एक अनूठा ग्रन्थ है। जो कि भरतपुर के इतिहास के सन्दर्भ में एक अहम भूमिका का निर्वहन करता है ।२८ स्वामी अरवैराम राजा सूरजमल के आश्रित कवि स्वामी अखैराम ने लगभग १० ग्रन्थ लिखे जिसमें वैद्य बोध, ज्ञान का परिचय भी मिलता है। 'विक्रम विलास' व 'सिंहासन बत्तीसी' में कवि ने डीग के बागों का वर्णन,
SR No.520782
Book TitleSambodhi 2009 Vol 32
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJ B Shah, K M patel
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2009
Total Pages190
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size19 MB
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