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पाण्डुलिपियों और लिपिविज्ञान की अग्रीम कार्यशाला का अहेवाल
कृपाशङ्कर शर्मा दिनाङ्क - १० मई २००७, गुरुवार शुभारम्भ विधि :
___ राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन (नई दिल्ली) और लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर, अहमदाबाद के संयुक्त उपक्रम में Advance Workshop on Manuscriptology and Paleography की शुभारम्भविधि दिनाङ्क १०.५.२००७ को प्रात: १०.०० बजे डॉ० बी० ए० प्रजापति, कुलपति, हेमचन्द्राचार्य उत्तरगुजरात युनिवर्सिटी के अध्यक्षता में सम्पन्न हुई । कार्यक्रम के मुख्यातिथि गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष प्रो० मंगलभाई पटेल थे। कार्यक्रम की उद्घाटन विधि दीपदीपन से सम्पन्न हुई। मंगलाचरण डॉ० प्रीति पञ्चोली ने किया । स्वागतवचन डॉ० जितेन्द्रभाई शाह ने किया । राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन के उद्देश्यों तथा वर्कशाप का विषय प्रवर्तन मिशन के सहायकनिदेशक डॉ. दिलीपकुमार राणा ने प्रस्तुत किया । संचालन प्रो० कानजीभाई पटेल ने किया तथा आभार प्रो० कनुभाई शाह ने माना । इस अवसर पर नगर के गणमान्य नागरिक तथा गुजरात विश्वविद्यालय के विविध विषयों के आचार्य, उपाचार्य आदि उपस्थित थे। ११ मई, २००७ :
लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर, अहमदाबाद में राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन संस्कृति मन्त्रालय, नई दिल्ली (भारत सरकार) के सहयोग से प्राचीन हस्तप्रत विज्ञान एवं लिपिशास्त्र विषय पर एडवांश कार्यशाला का शुभारम्भ हुआ जिसकी व्याख्यान माला ११.५.२००७ को प्रात: ७.३० बजे प्रो० वसन्तकुमार भट्ट, नियामक, भाषा-साहित्य भवन, गुजरात यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद के व्याख्यान "पाठ-संक्रमण एवं पाठ-सम्पादन का पूर्व इतिहास" विषय पर केन्द्रित हुआ। आपने पाठसंक्रमण एवं पाठसम्पादन के विविध सोपानों पर चर्चा की जिसमें वेदों से लेकर वर्तमान साहित्य पर प्रकाश डाला।
और कहा कि भगवान बुद्ध और महावीर स्वामी के समय से पाठ-परिवर्तन की प्रथा प्रवहमान रही है । तथा आदर्श लेखक के गुण, पाण्डुलिपि (हस्तप्रत) की सामग्री आदि को व्याख्यायित किया । साथ ही आपने पाठसंचरण के प्रमुख बिन्दुओं का स्पर्श किया और परिचर्चा की।
मिशन के सहायक निदेशक डॉ. दिलीपकुमार राणा ने अपने व्याख्यान में कहा कि पाण्डुलिपि, हस्तप्रत, ग्रन्थी, टेक्स्ट, पोथी आदि अनेक नामों से पुकारी जाती है । प्रायः हस्तलिखित