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________________ Vol. xxVIII, 2005 जैन एवं गाँधी आचार दर्शन का तुलनात्मक अध्ययन 127 करता है, जिससे उसके भूत, भविष्य एवं वर्तमान जीवन का निर्धारण होता है और यही उसके 'कैवल्य' का मार्ग है। प्रत्येक आत्मा चाहे वह पृथ्वी सम्बन्धी हो, जलगत हो, या उसका आश्रय कीट अथवा पतंग हो या उसका निवास स्थान मानव हो, तात्त्विक-दृष्टि से उसमें कोई भेद नहीं है। सभी जीव समान हैं, समस्त जीवों में समान आत्मा का निवास है । जैनियों का सिद्धान्त है 'जे अप्पा से परमप्पा' अर्थात् 'जो आत्मा है वही परमात्मा है' ।२ महात्मा गाँधी के अनुसार समाज में प्रत्येक व्यक्ति समान है तथा समान रूप से समाज का सदस्य है। उसके प्रत्येक क्रियाकलाप का सम्पूर्ण समाज पर असर व्याप्त होता है। यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्य को समझ जाए और उसका पूर्णरूपेण पूरी निष्ठा के साथ पालन करे तो सम्पूर्ण समाज में आनन्द एवं शान्ति का वास होगा । यही सभी का उदय होगा, यही वास्तविक सर्वोदय है। सन्दर्भ ग्रन्थ सूची: १. सक्सेना, लक्ष्मी (संपा.), समकालीन भारतीय दर्शन, १०८६ । २. Gandhi, M. K., My Experiments with truth, p. 415 ३. लाल, बसन्त कुमार, समकालीन भारतीय दर्शन, पृ० १५७-५८ । ४. मिश्र, जयशंकर, प्राचीन भारत का सामाजिक इतिहास, पृ. ७७८ 4. Woodcock, George Gandhi, p. 18 ६. वर्मा, वेद प्रकाश, नीतिशास्त्र के मूल सिद्धान्त, पृ. ३६६ ७. हिंसाऽनृतस्तेयाऽब्रह्मपरिग्रहेभ्यो विरतिव्रतम्, तत्त्वार्थ सूत्र, ७०१, पेज १६६ । ८. शेखावत, महेन्द्र सिंह, आधुनिक चिन्तन में वेदान्त, पृ. १५४ । 8. Woodcock, George, Gandhi, p. 39 १०. प्रमत्तयोगात् प्राण व्ययरोपणं हिंसा, तत्त्वार्थ सूत्र, १७२, ७६ ११. लाल, बी. के, समकालीन भारतीय दर्शन, पृ० १३७, और वर्मा, वेद प्रकाश, नीतिशास्त्र के मूल सिद्धान्त । १२. Young India, 4-11-26 १३. Rai, Chhaya & Singh, Dashratha, Relevance of Gandhian Thought, p. 241. १४. तत्त्वार्थ सूत्र, पृ० १७६ । १५. गाँधी, मो० क०, सत्य और अहिंसा, पृ० ५५ । १६. Young India, 13-12-1931 १७. सिंह, बी. एन. नीतिशास्त्र, पृ० ४१९ । १८. लाल, बी. के. समकालीन भारतीय दर्शन पृ० १४३-४५ १९. महेता, डा. मोहन लाल, जैन धर्म दर्शन, पृ० ५५०-५१ । २०. Gandhi, M. K. My Experiments with Truth p. 173. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520778
Book TitleSambodhi 2005 Vol 28
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJitendra B Shah, K M Patel
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages188
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size4 MB
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