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Vol. xxV, 2002
ALAMKĀRAKĀRIKĀ – a critical study
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anonymous. Because of lack of evidence at present, we can only say that the said manuscript contains the two works : (1) Alamkārakārika and (2) its Tippana. The colophon runs as follows:
श्रीमत्पुण्यसागरसूरीश्वरैर्दत्तोऽयमलंकारग्रंथः ॥
संवत् १८२५ वर्षे महासुदि ५ गुरौ भट श्रीभगवानपार्श्वे पं. मुक्तिसौभाग्यगणिभिः पठितोऽयमलंकारग्रंथः श्री वडोदरानगरे श्रीफतेसिंहजीराज्ये । ( ).
The ले. सं. (= The year of copying this work) is 1825 of Vikram era, i. e., A.D.) 1881. On the last page Savaiyā (
A T) is also written by the scribes of the manuscript in the vacant place. The time is of 19th century during the reign of the famous king Fatehasimharāva Gaikwad of Baroda.
The Alankārakārikā treats the following alamkāras :
(१) उपमा (२) अनन्वय (३) उपमेयोपमा (४) प्रतीप (५) रूपक (६) उल्लेख (७) स्मृति (८) भ्रान्ति (९) सन्देह (१०) अपर्तुति (११) उत्प्रेक्षा (१२) रूपकातिशयोक्ति (१३) अपह्रवातिशयोक्ति (१४) भेदकातिशयोक्ति (१५) संबन्धातिशयोक्ति (१६) अक्रमातिशयोक्ति (१७) चपलातिशयोक्ति (१८) अत्यंतातिशयोक्ति (१९) तुल्ययोगिता (२०) दीपक (२१) शब्दावृत्तिदीपक (२२) अर्थावृत्तिदीपक . (२३) शब्दार्थावृत्तिदीपक (२४) प्रतिवस्तूपमा (२५) दृष्टान्त (२६) निदर्शना (२७) व्यतिरेक (२८) सहोक्ति (२९) विनोक्ति (३०) समासोक्ति (३१) परिकर (३२) परिकरांकुर (३३) श्लेष (३४) अप्रस्तुतप्रशंसा (३५) प्रस्तुतांकुर (३६) पर्यायोक्त (३७) व्याजस्तुति (३८) व्याजनिन्दा (३९) आक्षेप (४०) विरोधाभास (४१) विभावना (४२) विशेषोक्ति (४३) असंभव (४४) असंगति (४५) विषम (४६) सम (४७) अधिक (४८) अल्प (४९) विचित्र (५०) अन्योन्य (५१) विशेष (५२) व्याघात (५३) कारणमाला (५४) एकावलि (५५) मालादीपक (५६) सार (५७) यथासंख्य (५८) पर्याय (५९) परिवृत्तिः (६०) परिसंख्या (६१) विकल्प (६२) समुच्चय (६३) कारकदीपक (६४) समाधि (६५) प्रत्यनीक (६६) काव्यार्थापत्ति (६७) काव्यलिङ्ग (६८) अर्थान्तरन्यास (६९) विकस्वर (७०) प्रौढोक्ति (७१) ऊहा (७२) मिथ्याध्यवसति (७३) ललित (७४) प्रहर्षण (७५) विषादन (७६) उल्लास (७७) अवज्ञा (७८) अनुज्ञा (७९) लेश (८०) मुद्रा (४१) रत्नावली (८२) तद्गुण (८३) पूर्वरूप (८४) अनुगुण (८५) मीलित (८६) सामान्य (८७) उन्मीलित (८८) विशेषक (८९) गूढोत्तर (९०) चित्र (९१) सूक्ष्म (९२) पिहित (९३) व्याजोक्ति (९४) गूढोक्ति (९५) युक्ति (९६) लोकोक्ति (९७) छेकोक्ति (९८) वक्रोक्ति (९९) स्वभावोक्ति (१००) भाविक (१०१) उदात्त (१०२) निरुक्ति (१०३) प्रतिषेध (१०४) अत्युक्ति (१०५) विध्यलंकृति (१०६) हेतु' and (१०७) रसवदादि अलंकारs and 8 प्रमाणालंकाराs have been only mentioned and not defined.
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