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________________ ... इस परिस्थिति के होते हुए भी अर्घमागधी की अपनी लाक्षणिकताओं के विषयमें क्या एक स्वतंत्र व्याकरण का विधान किया जा सकता था इसी मुद्दे पर इस चर्चा-पत्र में विचार किया जा रहा है। आर्ष की विशेषताओं के उल्लेख । - आचार्य श्री हेमचन्द्रने अपने प्राकृत व्याकरण में सूत्रों की वृत्ति में अलग अलग स्थलों पर आर्ष भाषा ( अर्धमागधी ) की विशेषताओं के बारे में ३१ बार उल्लेख किया है ।। The Prakrit Grammarians, p. 180, t, h, 1(1972) हेमचन्द्र के व्याकरण में विभिन्न स्त्रों की वृत्ति में विषय इस प्रकार हैसूत्र संख्या विषय . सूत्र संख्या विषय 1 . आर्षम् अंतिम व्यंजन 2 स्वरपरिवर्तन 1 अव्यय अ() का परिवर्तन . 1 निपात 2 प्रारम्भिक असंयुक्त व्यजन... 1 नाम विभक्ति 5 .. मध्यवर्ती असयुक्त व्यञ्जन विभक्ति व्यत्यय 4 . प्रार'भिक, संयुक्त व्यजन. भूतकाल मध्यवर्ती संयुक्त व्यजन कृदन्त कुल 31 सूत्र न. I .. 3, 26, 46, 57, 79, 118, 119, 151, 177, 181, 206, 228, 245, 254 (14). II 17, 21, 86, 98, 101, 104, 113, 120, 138, 143, 146, - 174, (12) III -162, Iv, 238, 283, 287 (3) इसमें एक उल्लेख उसकी मुख्य विशेषता के बारे में है अर्थात् अकारान्त पु. प्र. ए. व. के लिए-ए विभक्ति के बारे में है। इसके सिवाय नाम विभक्तियों के बारे में दो और उल्लेख है। काल तथा कृदन्त के विषय में एक एक उल्लेख है जबकि अन्य उल्लेख अधिकतर ध्वनि-परिवर्तन के विषय में है। - इन विशेषताओं के जो भी उदाहरण दिये गये हैं उनसे यही स्पष्ट होता है कि अर्धमागधी एक प्राचीन प्राकृत भाषा थी । उदाहरणों के रूप में- 1 शब्द के प्रारभिक य का अ। सूत्र है - आदेोजः ( य = ज) परतु आर्षे लोपोऽपि । उदाहरण :- अहक्खाय', अहाजाय । अशोक के शिलालेखों में भी ऐसी ही प्रवृत्ति मिलती है । आदि य का ज १. श्रीमती नीती डोल्वीने जिन सूत्रों का उल्लेख किया है उनमें एक सूत्र 8.3.137 - और जोड़ा जाना चाहिए । देखिए
SR No.520765
Book TitleSambodhi 1988 Vol 15
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamesh S Betai, Yajneshwar S Shastri
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1988
Total Pages222
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size5 MB
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