SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 305
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 10 अवलोकन करनेवाला कोश शायद एक ही प्टिगोचर हुआ है, और वह है प्रोफे. श्री. के. वी. भभ्यारजी, पूणे, का A Dictionary of Sanskrit Grammar, G. O S. No. 134, First Edition, 1961, M. S. University of Baroda. इस कोश की द्वितीय . भावृत्ति (A.D. 197") में डॉ. जे. एम. शुक्ल, (अहमदाबाद) ने कुछ नये शब्दों का समावेश किया है। यहाँ इसी प्रकार के एक ओर कोश का परिचय हम प्रस्तुत कर रहे है। स्वर्गीय पंडितजी गुण्डे राव हरकरे (A.D. 1887-1979)ने बनाया हुआ “प्रत्ययकोश" पाणिनीय व्याकरण में निरुपित प्रायः सभी प्रत्ययों, आदेश, आगप, अनुबन्ध आदि का अर्थ एवं उपयुक्ता, कार्य (functions) आदि का सुचारु रूपेण प्रदर्शन करता है। यह कोश वैज्ञानिक पद्धति का अनुसरण करता है, और साथ में वैशयपूर्ण होने से पाणिनीय व्याकरणशाके सभी अध्येताओं के लिए उपादेय है। इस 'प्रत्ययकोरा' में अमापदिक्रम से सुबन्त एवं तिङन्त के रुपाख्यान में उपयुक्त होनेवाले सभी व्याकरणिक प्रत्ययादि का ससन्दर्भ निर्देश प्राप्त होता है। उदाहरण रूप से कुछ चियाँ देखे तो(१) इक । (पृष्ठ : 57) प्रत्ययः-धातुनिर्देशे । इश्तिपौ धातुनिर्देशे (वा) रोगारख्य" (IIT 3-108). भिदिः । पचतिः । कृष्यादिभ्यः (वा)। कृष्यादि धातुभ्य: इकेव भवति, न वितपू । कृषिः । किरिः इत्यादि । प्रत्याहारः-इको यणचि (VI. 1-77), 'ईग् यणस्तम्प्रसारणम् (I-1-8) इत्यादयः। आदेशा-ठस्येक: (VII-3-50) ठक् , उ , मिठू , पश्य (1V-2-20) (वा). आदेशः-इकक् , ईकन् , विकन् इत्यादि । पश्य । कृत् :-आखनिकः । इको वक्तव्यः 'खनो ध च ।' (III-3-125) (२) ऊक् । (पृष्ठ 81) अभ्यासस्य 'ऊ' इत्यागमः । पटधातो: पट्पटः । धनथे कः । इददे (1-1-11), ईदुतौ च (I-1-19), ऊदनोः (VI-3-98), उदुपध्यया (VI-4-89 to 91). कृत् :-जागरूकः (III-2-165) यायज्कः (III-2-166). उणादिः-मृ-मकः मृग (479) बलेरुकः । वलकः पक्षी (480) उणादिः-उलकादयश्च । वायदुका बक्ता (481) (३) धि संज्ञाः-शेषो यसरिब (I-4-79) हरिः । भानुः । संज्ञाफलं 'डिति' इति गुणः । हरये ।
SR No.520763
Book TitleSambodhi 1984 Vol 13 and 14
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, Ramesh S Betai, Yajneshwar S Shastri
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1984
Total Pages318
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy