SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 275
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एच० ब्लौचमैन (H. Blochmann ) द्वारा अनुवादित आइने अकवरी (AiniAkbari) में अकबर के १८० स्कोलर के नाम दिये गये हैं जिनमें से ३२ हिन्दु थे । इन स्कोलर को पुनः उनके क्षेत्रों के अनुसार पांच विभागों में विभाजित किया गया है । इसमें से प्रथम विभाग में जिन आठ हिन्दु पंडितों के नाम आते हैं, वे ये हैं - मधुसर्सुती, मधुसूदन, नारायणाश्रम, दामोदरभट्ट, रामतीर्थ, नरसिंह, पर मन्दिर व अदित 1 | यहाँ पर उल्लिखित परमिन्दर ही पद्मसुन्दर हैं। जिन्हें लिपिकार की गली से परमिन्दर रूप में लिख दिया गया है 2 1 इसके साथ ही कवि पद्मसुन्दर द्वारा रचित ' अकवरशाही शृंगारदर्पण' नामक ग्रन्थ जिसका नाम ही अकबर के नाम पर रखा गया है, प्रतीत होता है मानो पद्मसुन्दर ने इस ग्रन्थ की रचना अकबर की प्रशस्ति में, उनके लिए ही की हो । 3 इन समस्त संदर्भों के अनुसार यह स्पष्ट हो जाता है कि पद्मसुन्दर अकबर के दरबार के विद्वानों में से एक थे । पद्मसुन्दर सं० २६१२ (१५५६ अ० डी०) से सं० १६६१ (१ १६३१ - १५७५ अ० डी० ) तक अकबर की सभा में विद्यमान रहे हैं । उनका निवासस्थान संभवत: आगरा ही रहा होगा । अर्वाचीन संस्कृत जैन कवियों में पद्मसुन्दर का स्थान महत्त्व का है । वे बहुतमुखी प्रतिभा के धनी रहे हैं । उन्होंने विभिन्न विषयों को लेकर काव्य व शास्त्रयन्थों की रचना की है । अत: उनकी विद्वत्ता विदित होती है । दुर्भाग्य से पद्मसुन्दर की सभी रचनाएँ अभी तक प्रकाशित नहीं हो पाई हैं । मात्र चार छोटी रचनाएँ ही प्रकाशित 1. 'आइने अकबरी', एच० ब्लौचमैन द्वारा अनुवादित, दिल्ली, द्वितीय आवृत्ति १९६५, पृ० ५३७ ५४७ तक । 2. ' अकबरशाही शृङ्गारदर्पण,' प्रस्तावना, पृ० २४ और २५ 3. वही । बम्बई, सं० १९६५, पृ० ७७ । 4. जैन ग्रन्थावली, श्री जैन श्वेताम्बर कान्फरन्स, 5. पद्मसुन्दर का निवासस्थान आगरा मानने का प्रथम कारण तो अकबर का दिल्ली, आगरा व फतहपुरसीकरी में रहना ही है। दूसरा, श्री अगरचन्दनाहटा ने भी अपने लेख में एक जगह लिखा है कि ' सं० १६२५ में जब तपागच्छीय बुद्धिसागरजी से खरतर साधुकीर्तिजी की सम्राट की सभा में पौषध की चर्चा हुई थी, उस समय पद्मसुन्दरजी आगरे में ही थे, 'ऐतिहासिक जैनकाव्यसंग्रह, ' श्रीअगरचन्द भवरलाल नाहा, प्र० आवृत्ति, कलकत्ता, सं० १९९४, जईतपदवेलि, पृ० १४०-१४१ ।
SR No.520762
Book TitleSambodhi 1983 Vol 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1983
Total Pages326
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy