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________________ पिशल के प्राकृत-व्याकरण में अनुपलब्ध वसुदेवहिंडी के क्रिया-रूप के. आर. चन्द्रा वसदेवहिंडी के निम्नलिखित क्रिया-रूप पिशल के प्राकृत व्याकरण में अनुपलब्ध हैं। इन क्रिया-रूपों में कुछ ऐसे शब्द भी शामिल हैं जिनको स्पेलिंग में थोड़ा सा भी अन्तर हो और जो पिशल में उस रूप में नहीं मिलते हैं । इसी के साथ जिन रूपों को आगे से तारांकित किया गया है वे रूप पाइय-सद्द-महण्णवो में भी उपलब्ध नहीं हैं। १ अइच्छ, अतिच्छ (अतिक्रम् ) (*अतिच्छिहिति, १८९.१) २. अई (देखो 'अती') ३. *अग्घा यसि (आजिघ्रसि) १७२.१८ ४. अणुठा (अनुस्था), (*अणुठेहिति १६८.५) १. अती (अति+इ) (*मतीह अतोथ, १२९.२१ पिशल ४९३ में ऐसे रूप की संभावना की गयी है), [मोविसंडि : अत्येति (ऋग्वेद)] ६. *अपरिभुत्ता (अपरिभुञ्ज्य) १३६.११ ७. *अयइ (अचि) १५२.९ [पासमः अदइ]. ८. *अहीय (अधीष्व) १८२.१९ ९. आइक्खिय (आख्यात) १९१.६ १०. आगमिस्स (आगमिष्यत् ) १८९.१२ ११. *आगमेऊण (आगम्य) ७.१४ जानकर १२. आणाविय (आनायित) १९०.३२-[गुज. आणावियु १३. आभट्ट (आभाषित) १७७.४; १७९.१२ तुलना करो-वुट्ठ-वसित १४. *आरुभउ (आरोहतु) १२०.२६ १५. आयाय (आयात, आजात) १७३.१३,१६ १६. *आययति (आदत्ते, आददाति) १६७.१८ १५. *ईसायमाण (ईjमाण) १२६.१५ १८. उवउज्जइ (उपयुज्यते) १८३.२६ [पासम : उवउंज] १९. *उवासए (उपासूते) १८३.१७ २०. *एज्जह (इत) १३८.३१ २१. *कहइस्स (कथयिष्यामि) १९७.१२ [पिशेल : कधइश्शं] २२. *कहयति (कथयति) १५०.१२ २३. *कहयसु (कथय) १६९.२८,१८०.२९,१९०.११,१९४.९ २४. *कहेस (देखो कहइस्स) १६६.२ [पि. कहिस्सं] Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520760
Book TitleSambodhi 1981 Vol 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1981
Total Pages340
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size8 MB
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