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________________ গজখম हाथी ने डाकन साकन नजर तनीरी ओषद धुनी । घोडारा नख कुतराको माथो नरमाथारा हाड सर्ब मेला करेन धुनी दीजे, भलो होय । हाथीहे अनीराग थकी.... F.5 १ मोथ पे० १० धतुरका पान सेर १ फुलदारु सेर २ तनीमे दीजे, प्रमान पे०४ दोजे, दीन २१समाध होय । हाथीहे ऊनाले दही भात दीजे, प्रमान सेर ५, दीन प्रत दीजे सीतलाई होय । हाथीरा पेट माहे तपत होय तनीरी ओषद । मीश्री सेर १ बीराली सेर १ सहत सेर १ आछ मधे दोजे, प्रमान पे०१० भर दोजे दोन ७, समाध होय । हाथीने अनीरोग थकी काछे तपतनो अधिकार घणो होय तनीरी ओषदरो लेपन । बीराली से० १ डोडा पे०१० तीजाराका पानीसु लेपन कीजे काछे दीन ७, समाध होय । हाथीरे कुंभस्थल अनीरोग थकी तपत होय तनोरी ओषद लेपन । गु(कु?) वारको पाठो पे०५ कलीचुनो बिगर बुझायो पे० ५ गायका मुत्रसु लेपन करीजे दीन ७, समाध होय । - हाथीहे अनीरोग थको मृगी उपजे तनोरी ओषद । पानी माहलो काचबो पानी माहलो केकडो ढाढारा सीगवरी जड भेला करीने राध खवावजे बकायनरा पानरी कुचो मध्ये दीजे दीन ७, भलो होय, मृगी जाय । . हाथीने झोलाकी ओषद । मीरी पे०५ बीसखापरो पे०५ हीगल पे०३ मीढासीगी टं०२ दुध मन १ राधजे अग्न पोहोर ४ सर्व ओषद भेली बांटकर प्रमान पे०३ भर जोका बाटा माहे दीजे दीन २१ झोलो जाय । हाथीने अनीरोग थकी देही फाटे ने रगत नीकले तनीरी ओषद लेपन कीजे । फीटकडो पे०५ कायफल पे०५ बीसखापरो पे०५ नीबरी नीबोलीको तेल सेर १ सीसमकी लाकडी तेल पे०५ चोपडजे लेपन कीजे तो भलो होय । हाथीहे अनीरोग थकी ईद्रो फाटे जाय तनीरी ओषद । जरखरा बाल कागलारी पांख स्यालरा लोहा हरणरा लीडा पानी ऊनासु लेपन कीने दोन ७, समाध होय । हाथीहे रगतास जुर रोग होये ते कोम जानीजे । काछे रगत पडे काप ते रगतास जुर कहीजे तनीरी आषद । श्लोक www.jainelibrary.org For Personal & Private Use Only Jain Education International
SR No.520757
Book TitleSambodhi 1978 Vol 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages358
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size9 MB
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