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________________ जैनदर्शन में तर्कप्रमाण १७. [जेने] कंठी न थी, पीठी (पीठिका बेठक?) नथी, लाकडी नथी, मूठी नथी, वंश नथी, देश नथी, गाल नथी, प्रगण्ड (का गीथी खभा सुधेमो बाहु) नथी, मेष (घेटु') नथी, वेष नथी, सूपडु नथी, कूर्प (भवां ओ वच्चेनो भाग) नथी ते....... १८. [जेने] जठाणु नथी, तरस नथी, भूख नथी, शिष्यो नथी, विघ्न के उत्सव (१) नथी, प्रचंड दंड नथी, चोटली नथा, मस्तकमणि नथी, पीडा य नर्थ। ते... १९. [जे] ठंडो नथी, पीळो नथी, तीखो नथा, कडवो नथो, तूरो नथी, खाटो नथी, तीक्ष्ण नथी, मृदु नथी, कठोर नथी, रोग (2) नथी, गुम (गांठ) नथी, जेने इन्द्र नम्यो छे तेवा तथा इन्द्रियोने जीतनार श्री जिनेन्द्र लक्ष्मी माटे हो. २०. [जे] दुर्गंधवाळो नथी, सुगंधो नथी, काळा नथी, नीलो नथी, लीलावाळो नर्थ, पिंगळो नथी, नानो नथी, लांबो न थी, टू को नथी, जाडो नयी, दीन नथी, जेने इन्द्र नम्पो छे, जेणे इन्द्रियो जीती छे ते श्री जिनेन्द्र लक्ष्मी माटे हो. २१. नहि ऊंचो, नहि नीचो, नहि कवडो, न विशाळ, न भीनो, नहि धीमो, नहि जनो, नहि नवो, न दर, न नीचो ('सनीडोने' बदले 'न नीचो' पाठ कल्पीए तो), न पूर्ण, न छेडे रहेलो, जेने इन्द्र नम्यो छे तेवो...... (आगळ मुजब) ___२२. नहि मत्त, नहि प्रमत्त , न चवळ, न गोळ, न डाचो [के जमणो, न छूपो [के] प्रगट, न सीधो, न वांको, न घरडो, न बाळ...... २३ बाह्य अने आंतरिक कर्मना संबंधथो ते (उपर कहेली) वस्तुओ जीव विषे अनेक प्रकारे संभवे छे. कर्मना अभावथो ते (वस्तुओ)ना निषेधने लीधे थियेला] सिद्ध अंगे तत्त्ववाळु कांईक रमणीय अने नमवा लायक का छे. . २४. जे कर्मना खपवाने कारणे वीर्य ना, प्रगट थता आनंदना, दर्शनग [अने] ज्ञानना व्यक्त थता नित्य एवा उच्च आनन्त्य (बीजा चरणमां नित्यमान्यं तमेव' ने स्थाने 'नित्यमानन्त्यमेव' पाठ लेतां) ने धारण करे छे ते प्रशंसा पामेला सिद्धने पूजु छु. - २५. आम कोईक अपूर्व अने सत् स्वरूप ('तत्स्वरूपः' ने बदले 'सत्स्वरूपः' पाठ लेतां), तप्त (१), प्रगटनो भगीथो गोठवायेला (१) ज्ञानमय, हितकारक अने सारी सिद्धिवाळा सिद्ध आनंदघनना उदयना श्रेष्ठ तेजथी (?) प्रभाववान् बनी रहो. आ [छेल्लु पद्य (वृत्त) रद करवा जेवू छे. आम आनन्दघने रचेली सिद्धो विशेनी चोवीशी पूरो थई. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520757
Book TitleSambodhi 1978 Vol 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani, Nagin J Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages358
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size9 MB
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