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________________ पाटण-चैत्य-परिपाटी बीजइ भुवनि जिणेसर नमी, कुमति कदाग्रह सदा अवगी, कल्हरबाडइ पणमउं देव, छंडि पाप निर्मल थि३ हेव. दिनाकरवाडइ देव जुगादि, बोडइ कोधा कर्म अनादि, आदि करण नइ समरथ धीर, धांधलबाडइ पणामसु धार. ४१ सत्रागवाडइ रिसहेसर सामि, करवीनती हिब शर नाम, पूनावाडइ परगट मल्ल, हायातणा जिणि टाच्या सत्य. आदि जिणंद नमउं कर जोडि, जेहनइ नामि न आवइ पोडि, हिव आवी पणमिसु गोलवाडि, सगला काज सिराइइ चाडि. ४३ मूलनायक सवि सुपनउ साथ, पार्खाल बंद पारसनाथ, कर्म चिंतामणि चिंता हइ, पापपंक साव दूरई करइ. पीतलिनउ दोसइ रूयडउ, भाग्यविशाल गुणे गख्यडर, भगति करई तिहां श्रावक भला, दयावंत दीसइ गुणनीला. नवइ धरि निरषउं नयणे वली, दीटइ दरसाण पूजई रली, जइ ए मूरति ताहरी मिली, दूरई नाटा जाइं अली, वस्त एम निरण्या एम निरण्या सयल प्रासाद, अति सचित्र सोहामणा सुरविमाण समवडई सोहई, चंद्रोवा पहिरावणी करि अपुव्व तोरणे मोहई, नव नव कविलाई सहित भेटचा श्रोजिनराइ, घर देवाला मोटका भेटण ऊलट थाइ. (भास) पारिषि वंश विभूषण, सा भमरोली, देवालउ अतिचंग त, नमतां नावइ दूषण सा भम०, नव नव थाइ रंग त. ४८ कोरणी करि अतिरुयडउ, सा भम०, भमरी दंतह सार त, दीवइ सोहइ सूयडउ, सा भम०, मोहई मन मोती हार त. ४९ झूमणां झांझा बोलीइ, सा भम०, घंटह तणा निनाद त, अमर विमाण किम हिणवउ, सा भम०, दीठइ अमृत सवाद त. ५० धन विजउ पारषि, सा भम०, जेणि कराव्यु एह, नमि आणंदई आपणइ, सा भम०, निरषि शवनउ गेह.
SR No.520754
Book TitleSambodhi 1975 Vol 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1975
Total Pages427
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size30 MB
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