SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 206
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 34 मारुति नन्दन प्रसाद तिवारी गर्नि मे आम्रफल के गुच्छक एवं दूसरा पुत्र भी उत्कीर्ण है। उपर्युक्त श्वेताम्बर मूर्तियों से स्पष्ट है कि इन स्थलों पर चतुर्भुज अम्बिका के साथ किसी नवीन आयुध को प्रदर्शित नहीं किया गया जब कि श्वेताम्बर ग्रन्थ दो निचली भुजाओं में आम्रलुम्बि एवं बालक के साथ ही ऊर्ध्व भुजाओं में पाश एवं अंकुश के प्रदर्शन का निर्देश देत है। परंपरा विरुद्ध अम्बिका की तीन भुजाओं मे आम्रलुम्बि का प्रदर्शन निश्चित ही यक्षी के द्विभुज स्वरूप से प्रभावित है। तारंगा, जालोर एवं विमलवसही की बारहवीं शती की तीन चतुर्भुज अम्बिका मूर्तिया में तीन भुजाओं में आम्रलुम्बि के प्रदर्शन के स्थान पर केवल एक ही भुजा में आम्र लुम्बि प्रदर्शित है। अन्य दो भुजाओं में पाश एवं चक्र (या वरद) प्रदर्शित है। तारंगा के जितनाथ मन्दिर के मूल प्रासाद की उत्तरी भित्ति पर अम्बिका त्रिभंग में अंकित है। बाम पार्च में वाहन सिंह उत्कीर्ण है। यक्षी के करों में वरद, आम्रलुम्बि, पाश एवं पुत्र स्थित है। विमलवसही के गूढमंडप के दक्षिणी प्रवेश द्वार की मूर्ति में सिंहवाहिनी अम्बिका की भुजाओं में आम्रलुम्बि, पाश, चक्र एवं बालक प्रदर्शित है। जालोर के महावीर मन्दिर के उत्तरी अधिष्ठान की तीसरी मूर्ति में सिंहबाहना अम्बिका आम्रलुम्बि, चक्र, चक्र एवं पुत्र से युक्त है। अम्बिका की ऊध्वं भुजाओं में चक्र के प्रदर्शन का उद्देश्य चक्रेश्वरी एवं अम्बिका का संयुक्त अंकन रहा हो सकता है, क्यों कि किसी भी श्वेताम्बर प्रन्थ में अम्बिका के साथ चक्र के प्रदर्शन का निर्देश नहीं दिया गया है। जिन-संयुक्त मूर्तियां गुजरात एवं राजस्थान की समस्त श्वेताम्बर नेमि मूर्तियों में द्विभुजा अम्बिका का वाहन सिंह है और उसकी भूजाओं में आम्रलुम्बि एवं पुत्र स्थित है। उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश . इस क्षेत्र की सभी मूर्तियां दिगम्बर परंपरा की कृतियां हैं। स्वतंत्र मूर्तियां आम्बका को प्रारम्भिकतम स्वतन्त्र मूर्ति देवगढ़ के २४-यक्षियों के सामूहिक चित्रग (862) में उत्तीर्ण है। समूह में अरिष्टनेमि के साथ 'अम्बायिका' नाम की चतुर्भुजा यक्षी अंकित है। वाहन अनुपस्थित है, और यक्षी की भुजाओं 81 विमलयमही के गूलमण के प्रवेश द्वार (दक्षिण) की मूर्ति इसका अपवाद है। सिंहवाहिनी अम्बिका की भुजाओ मे आम्लन्वि, पाश, चक्र, एवं बालक प्रदर्शित है। 8 मिमी भी बतायर ग्रन्थ मे चतुर्भुजा अम्बिका की तीन भुजाओं में आम्रलम्बि के प्रदर्शन का निर्वश नहीं दिया गया है। श्वेताम्बर ग्रन्या मे द्विभुजा अम्बिका का ध्यान अनुपलब्ध है पर मूनि चित्रग में दिभुजा अम्बिका ही सर्वश लोकप्रिय रही है। 58 नन, कलाज, द जे-नमंजज और देवगढ, लिडेन, 1969, प्र. 102
SR No.520753
Book TitleSambodhi 1974 Vol 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages397
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy