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अंजणासुंदीकहाणय तोय विणण्ण राया य रजिमो नियहिययमञ्झम्मि । अहवा विणइगुणेहिं को कस्स न वल्लहो होड । ॥३७॥ सत्येसु इमं भणिय 'नहुँ मणुओ कस्स वल्लहो होइ । जो विणडगुणपहाणो सो इट्ठो सव्वहा लोए' ॥३८॥ मुंजइ भोए विविहे राया वि [य] हिययमुंदरीह सम । जह सक्को सुरलोए रभाइ समन्निओ सयय ॥३९॥ जह सयअगसमेओ महारहो तह महिंदराया वि । अरविंदपमुहमुयसयसहिओ जाओ सुपुन्नेण ॥४०॥ एय सच्चाहाण सजाय तस्स नरवरिदम्स । 'सयसाहा पसरिजउ' थिविरी ज दिति आसीसा ॥११॥
ओवाइयसयमहिमा कोइ जिओ हिययसुदरीगव्मे । अवयरिमो पुन्नजुओ जह हसी कमलखंडम्मि ॥४२॥ सपुन्ने नवमासे सुमुहुने हिययमुदरी देवी । पसवइ कन्नारयण तत्काल पमुइया पियरो ॥४३॥ सयपुत्ताण उवरिं कन्नारयण इम हुय अम्ह । इय पुत्तजम्मअहियं उ( ' महु)च्छव कारवइ राया ॥४॥ वित्ते य बारसाहे समग्गबधवजणाण ममवाग | अजणसुदरीनाम विहिय पियरेहिं कुमरीए ॥४५॥ धाईजणकियकम्मा हत्था हत्थाओ सचरती य । परिवड्ढइ स' बाला मेरुवणे कप्पवल्लि व्य ॥४६॥ जह जह वडढइ बाला जह जह बालाइ मम्मणुल्लावा । तह तह मायापियरो हरिसिज्जई बाललीलाए ॥१७॥ जाया कमेण पढणस्स जुग्गया जाणिऊण पियरेहिं । उवझायस्स इ दिन्ना गएण उच्छवेण सा ॥३॥ लक्खण-विजा-जोइस-छंदालकार-गणिय-तक्काई । ससमय-परमयगथा पढिया उवझायपासम्मि ॥१९॥ चउसट्रिकलाकुसला सजाया रायकुमरि मचिरेण ।
उवझाओ रायसुय रन्नो अम्पइ परिक्खाए ॥५०॥ १. स्थषिरा इत्यर्थ । २ सस्समपर प्रतिपाठ ॥