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________________ सिरिगुण समिद्धिमहत्तराविरइय अंजणा सुंदरी कहाण [Folio 1 missing ] जिणभवणतुगसिहरे | नहु मणुयाण दडो करेइ राया मुट्ठो वि ॥१२॥ तत्थ पुरे नरनाहो सूरो वीरो पयावभरकलिभो । पल्हायणु ति नामो लोयाण बधवसरिच्छो ॥१३॥ तस्स निवस्स उ घरणी सयलतेउरपहाणवररमणी । नामेण केउमई कुलके उमई मुकेउ-मई ॥१४॥ सुकुलीणा वरसीला दक्विन्नमहोयहो सरलचित्ता । विणयाइगुणपहाणा जुबइकलासीलण सुजाणा ॥ १५ ॥ पचपयार सुक्ख अणुहवमाणाण ताण वोलेई । कालो जह देवाण सुरलोए वड्ढमाणाणं ॥ १६ ॥ अह अन्नया कयाई केउमईउयरि उत्तमो जीवो । अवयरिओ जह मुत्ताहलरयण सिप्पउडमज्झे ॥१७॥ Bre पंचमम्मि मासे डोहलओ धम्मर्केरणे सजाभो । रायण पूरिओ सो सट्टा वहह वरगर्भ ॥ १८॥ सपुन्ने विहु मासे जाओ पुत्ती पहाणरयणीए । सुहलग्गे उच्चगहे सुमुहुप्ते सुह तिही करणे ॥ १९ ॥ वृद्धावेय राया कारावर सयलनयरमज्झम्मि । अइबहुविष्ठेणं तह चारगसोहणायारे ॥२०॥ माया- पियरेहिं तओ परियणसहिएहिं गरुयकुडेणं । पवणजओत्ति नाम विहियं से उच्छषेण समं ॥२१॥ वर पंचधाइकलिओ बीयाचंद व्व वद्धए कुमरो । सयल जाणदकरो विसेसओ माय - पियराण ॥२२॥ १ " कुलस्य केतुमती - ध्वजसमाना” इति प्रतौ टिप्पणी ॥२ " शोभनामि केनि-परक्षणानि, मतिः- बुद्धिर्यस्या सा सुकेतु-मति " इति प्रतौ टिप्पणी ||३ अणुवइमाणा प्रतिपाठ । "करण प्रतिपाठ ॥ ५ णयं रन्ना का प्रतिपाठ ॥
SR No.520751
Book TitleSambodhi 1972 Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1972
Total Pages416
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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