________________
अनुसन्धान-६८
पं. श्रीलावण्यविजयजी द्वारा लिखित, संस्कृत, ९७ श्लोक, आदि -
स्वस्तिश्रीः कमनीयमंहिकमलं कल्याणकारस्करो०; पृ. १९५-१९८. १४९. अहम्मदावाद बिराजमान श्रीविजयदेवसूरिजी पर धीणोजथी पं. श्रीरविवर्धनजी
द्वारा लिखित, संस्कृत, अपूर्ण, ५४ श्लोक, आदि - स्वस्तिश्रियामभयदं
समुपास्महे तमेकाश्रयं जिनपति०; पृ. १९९-२०१. १५०. सूरत बिराजमान श्रीविजयदेवसूरिजी पर विन्धिपुरथी पं. श्रीविनयवर्धनजी
द्वारा लिखित, संस्कृत, ७५ श्लोक, आदि - स्वस्तिश्रियो यान्ति सदाऽ
तिपुष्टिं यदीयविश्वाद्भुतनामजापात्; पृ. २०२-२०४. १५१. कृष्णकोट्ट बिराजमान श्रीविजयसिंहसूरिजी पर तिरवाडाथी पं. श्रीविनयवर्धनजी
द्वारा लिखित, सं. १७०३, संस्कृत, ९४ श्लोक, आदि - स्वस्तिश्रियं
श्रीजिनराट सिषेवे शान्तीशिता पञ्चमसार्वभौमः; पृ. २०५-२०८. १५२. श्रीविजयसिंहसूरिजी पर विहदिथी पं. श्रीविनयवर्धनजी द्वारा लिखित, सं.
१७०३, संस्कृत, १०४ श्लोक, ६० वखत विभिन्न अर्थोमां सारङ्ग शब्द वापरीने कमलबन्ध, आदि - स्वस्तिश्रियाश्रितपदं विपदन्तकारी भव्या
भजध्वमिह तं महितं यथार्थः; पृ. २०९-२१३. १५३. जेसलमेर बिराजमान श्रीजिनसुखसूरिजी पर रूपावासथी पं. श्रीदयासिंहजी
द्वारा लिखित, संस्कृत, ५७ श्लोक, आदि - स्वस्तिश्रियामाश्रयमीशमाश्रयन् सुविश्रुतं जेसलमेरपत्तनम्; पृ. २१४-२१६.
अन्यत्र प्रकाशित १५४. श्रीभानुचन्द्रसूरिजी पर वडउद्र(-वडोदरा)थी मुनि श्रीप्रभाचन्द्रजी द्वारा
लिखित, संस्कृत, गद्य, त्रुटित, उपलब्धनुं आदि - परिस्फुरच्चारुचन्द्रार्कमण्डलसमुच्छलदतिबहल०; सं. - मुनि जिनविजयजी, प्रत - ताडपत्रीय, १ पत्र उपलब्ध; विज्ञप्तित्रिवेणी (प्र. - जैन आत्मानन्द सभा - भावनगर,
ई.स. १९१६)नी प्रस्तावनामां उद्धत. १५५. वटपद्रनगर(-वडोदरा) बिराजमान [?] पर लखायेल, संस्कृत, गद्य,
त्रुटित, उपलब्धD आदि - ०दचिराय युगादिसद्धर्मकर्ममार्गोपलम्भसभय०; प्रत - राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान - जोधपुर, क्र. ३४२९, १ पत्र; संस्थाना प्रत-सूचिपत्रमा परिशिष्टमां उद्धृत.