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डिसेम्बर - २०१५
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११९. राजनगर(-अमदावाद) बिराजमान श्रीदानरत्नसूरिजी पर सूरतथी पं.
श्रीकनकरत्नजी द्वारा लिखित, सं. १७९२, गुजराती, गद्य-पद्य, आदि - स्वस्तिश्रीमद्धर्मफलाद्भुविजये जम्बूद्वीपे राजतो; सं. - मुनि श्रीसुयशचन्द्रसुजसचन्द्रविजयजी, प्रत - कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर - कोबा; अङ्क ६५,
पृ. २४८-२५५. १२०. राजनगर(-अमदावाद) बिराजमान श्रीदानरत्नसूरिजी पर मीयागामथी उपाध्याय
श्रीउदयरत्नजी द्वारा लिखित, सं. १७९२, ४ चित्रकाव्योनां चित्रो सहित, हिन्दी, पद्य, प्रथम ३ कडी त्रुटित, ४थी कडीनी आदि - तत्र परमगुरु पुण्यनिधि परमपूज्य आराध्य; सं. – मुनि श्रीसुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजयजी,
प्रत - लालभाई दलपतभाई विद्यामन्दिर; अङ्क ६५, पृ. २५६-२६३. १२१. श्रीदेवगुप्तसूरिजी(-ककुदाचार्यसन्तानीय-कवलागच्छीय) पर मेडताना श्रीसङ्घ
द्वारा प्रेषित, सं. १९०७, सचित्र, राजस्थानी, गद्य, आदि - स्वस्ति श्रीपार्श्वजिनं प्रणम्य श्रीतत्र ग्रामनगर सुभ०; सं. - मुनि श्रीसुयशचन्द्र
सुजसचन्द्रविजयजी, प्रत - भो.जे. विद्याभवन; अङ्क ६५, पृ. २६४-२६६. १२२. साहजिहांपुर(-शाजापुर) बिराजमान श्रीअक्षयचन्द्रसूरिजी पर खम्भातना
श्रीसङ्घ वती मुनि श्रीखुशालविजयजी द्वारा लिखित, गुजराती, २० कडी, आदि - स्वस्ति श्रीगुरुपय नमी वीनतडी मनरंगई रे; सं. - मुनि श्रीसुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजयजी, प्रत - शेठ डोसाभाई अभेचंद जैन
ज्ञानभण्डार - भावनगर; अङ्क ६५, पृ. २६७-२६९. १२३. विक्रमपुर(-बीकानेर) बिराजमान श्रीलक्ष्मीचन्द्रसूरिजी पर अजमेरना
बृहन्नागोरी लोंकागच्छ श्रीसङ्घ द्वारा प्रेषित, सं. १८८७, सचित्र, राजस्थानी, गद्य-पद्य, आदि - स्वस्तिश्री समुरीकृतोद्यतिसुता दी.. मुदा यः स्तुतः; सं. - मुनि श्रीसुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजयजी, प्रत - कैलाससागरसूरि
ज्ञानमन्दिर - कोबा; अङ्क ६५, पृ. २७०-२७३. १२४. अमदावाद बिराजमान श्रीकल्याणसागरसूरिजी पर नौरंगाबादना श्रीसङ्ग वती
उपाध्याय श्रीसुजयसौभाग्यजी द्वारा लिखित, सं. १७९०, सचित्र, गुजराती, १२८ कडी, मङ्गल श्लोक पछी आदि - स्वस्ति श्रीमद् वृषभजिन प्रेमइ प्रणमी पाय; सं. – मुनि श्रीसुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजयजी, प्रत - लालभाई