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________________ डिसेम्बर - २०१५ २५ अनुमोदनायोग्य ज गणाय. शास्त्र पण ओ ज कहे छे. वळी जैन पण परपक्षना होय, तेना पण दया आदि गुणोनी अनुमोदना करवानी ज होय, तेम करवानो जे निषेध करे तेनी बुद्धि सारी नथी.' बीजी समस्या थोडी मोघम जणाय छे. बार बोलमां श्रीहीरगुरुओ कया जिनचैत्य वन्दनीय अने कया अवन्दनीय गणवा - अ समस्याना उकेलरूपे 'त्रणना अवन्दनीय चैत्योने बाद करतां बीजां सर्व चैत्य वांदवा-पूजवायोग्य' गणाव्यां छे. कोईक तेनो विपरीत अर्थ काढीने 'स्वपक्ष सिवायनां परपक्षनां सघळांय चैत्योने अवन्दनीय गणवां' - अवो मत चलावता हशे, तेने गच्छपतिले आकरो ठपको आपवानुं सूचव्युं छे. अने वधुमां, जो तेवा लोको संघनी वात न माने अने पोतानी मान्यता चालु राखे तो, पोताने जाण करवानुं जणावीने पोते ज तेने ठपको आपवानुं जणावे छे. आमां समजवानं ओ छे के धर्मना क्षेत्रे कट्टरता तथा कट्टरपंथी लोको हमेशां, दरेक काळे, होय ज छे. तेओ उदार थई तो नथी शकता, पण उदारताने स्वीकारी पण नथी शकता. ओमनी कट्टरता ओमने शास्त्रचुस्त, धर्मचुस्त बनावे छे अथवा तेवा होवानो देखाव रची आपे छे. आवा लोकोनी कट्टरता अमने अन्यना, ओटले के जे पोताना मत, पक्ष, समूहना न होय तेवाना सद्गुणोनी प्रशंसा पण करवानी मनाई फरमावे छे. उदार अने विवेकसंपन्न गुरुजनो जो अन्यना गुणोनी प्रशंसा करवानी हा पाडे अथवा विधान करे, तो तेमना विधानना अर्थने पण तेवा कट्टरजनो, पोताने अनुकूळ आवे ते रीते, बदली नाखता होय छे. आवा लोको अन्य धर्मना लोकोना ज नहीं, पोताना धर्मना पण जुदो मत धरावता वर्गना लोकोनां पण, धर्मकार्योनो, सत्कार्योनो, सद्गुणोनो स्वीकार करवा राजी नथी थता; तेओ तेनो इन्कार ज करता रहे छे. दुर्भाग्ये, आवा कट्टरपंथीओ तमाम धर्मो-सम्प्रदायोमां पथरायेला छे. दरेक काळे तेवा लोको होय छे. हीरगुरुना जमानामां पण तेवा लोको हशे तेनो पुरावो आ पत्रना बे मुद्दा जोतां सांपडे छे. आवी कट्टरता, 'अमे ज सारा अने अमाझं ज सारूं' ओवी भ्रान्त समजणमांथी ज नीपजती होय छे. बीजो पत्र पण खम्भातना श्रावक काहान मेघजीओ विजयसेनसरिने लखेला पत्रना जवाबरूपे लखायेलो पत्र छे. आमां त्रण वातो छे, जे त्रण प्रश्नोना
SR No.520569
Book TitleAnusandhan 2015 12 SrNo 68
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2015
Total Pages147
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size1 MB
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