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अनुसन्धान-६॥
दरसण तहां देख्यां, मनडा हरख्या, पेख्या गोडीपास, देवल असमांन, दुरस विमान, मनसुध विहारीदास, किय सक्रिय काम, जिनवरधाम, खरचे द्रव्य सुथांन
ऐसों घांणोरा..... ५७ ।। आगें अति सुंदर, जिनवरमंदिर, श्रीजीराउलि पास, नमीइं सिरनामी, शिवगतगांमी, परतिख पूरणआस, कीधों कृत सुकृत, हरवा दुकुंत, चतुरै साह सुजांन
ऐसों घांणोरा..... ५८ जहां है शिवजीका, देवल नींका, औरु वडे आवास, दरवज्जा सूंदर, सोनी इंदर, क्षेत्रपाल तिहां पास, गोरी मिल गावै, जात्रा आवै, भेटै भैरूं थांन,
ऐसों घांणोरा..... ५९ . ' गुल मिसरी गाडै, ल्यावें भाडै, बालध पोठ असेष, । छैली छोंगालै, नर मतवाले, विणजै वस्तु विशेष, . लैहक्कह सावां, उजरुन जाबां, तोलै कौंल प्रमान,
ऐसों घांणोरा..... ६०
- दोहो देवल च्याहं देखके, आये फिर बाजार, फुनि याहीकौं कहत हूं, यथायुक्ति विस्तार. १
॥ तो गजल ॥ देवी सीतला देख्याक, परचा पूरे ही पेख्याक, ढम ढम ढोल ही ढमकैक, झणणण झंझरा झमकैक, मंगल माननी गावैक, लडका गोदमें ल्यावैक, भर भर थाल पूजा साज, जुगती जात देवा काज, सेव्यां सुख्य ही पावैक, दरस्यां दुख भी जावैक, आगे देखीयें अति खास, गोंखां जोख हेंक विलास, उपै हवेल्याकी ओल, सूंदर सोभती है पोल, पटणी साह हे परवीन, जिनके धर्ममे लयलीन,
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