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अनुसन्धान-६४
छप्पइ - कुंडलीया विद्या वयरकुंआर ज्यूं, इल गोयम अवतार, लायकगुण लीलालहिर, कलिं दूजो किरतार, कलिं दूजो किरतार, धीर संयमव्रतधारी, साध्र(ध) महीयडे साच, सकल श्रमनगुण हितकारी, गाहिड गात गयंद, इंद्रज्यूं अधिकै दावै, प्रगुण सुगुण बुधपात्र, जास कविजन गुण गावै, वड त्याग भाग सोभाग वड धरणि तरणि शशि धीर ज्यूं, प्रतपो जिनेंद्रसूरींदपाट, विद्या वयरकुमार ज्यु. १ . गछपति गछपतिशिरतिलक, चलै चरण सूध राह, मिथ्यामत दूरे हरैं ....., परतिख गंगप्रवाह परतिख गंगप्रवाह, गहिर वांणी घन गज्जें, गरजित महिम गहिर, भेदता वारिद भज्जें, गुणमणि-रयणभंडार, नांण-दसण-चारित्रनिध, , अमल अचल अभंग, अखिल वंछितदायक रिध, करुणानिधान करुणाकरण, अति प्रताप उदयों सूरज, कवि कहत एम गोयम सुगुण, गछपति गछपतिसिरतिलक. २
छप्पय अस्योत्तर - श्रीविजयजिनेंद्रसूरिंद जब, कृपादृष्टि ज्यां पर करै
गवी काम (कामगदी) तस गेह, मेह अमृत मय करसे, परसे निर्जर विटप रयण चिंतामणि फरसै, प्रगटै गंगप्रवाह, भेट सह दारिद्र भज्जै, होत......................, गेह मयंगल गलगज्जै पांमै प्रगट्ट वंछित अखिल, सकल सिद्ध करि जरूरै श्रीविजयजिनेंद्रसूरिंद जब, कृपादृष्टि ज्यां पर करै. १ .
छप्पय वैजयजिनेंद्रसूरिंद जब, कोप भृगुटि वंकी करै. अस्योत्तर - डगगयंद डिगमगत, थगगथर कीयत्कासन,
तरणिरथ्थ खलखलिय, चंद्र चलचलीय चंद्रासन,
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