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जुलाई - २०१४
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राज करे तिहां राजवी, काछ-वाच निकलंक, जितशत्रू राजै तिहां, तोडण खलां त्रिवंक. ४ तिण राजन रा राजमें, ईत भीत नहीं काय, सूंदर सोभा सेहरकी, देखां आवे दाय. ५
॥ ढाल - सायण म्हारी है आज हजारी ढोलों प्रांहुणां ॥ श्रीचांणसमापुर भलो, इंद्रपुरी अनुहार, साजन म्हारां हो तिहां जई गछपति भेटीइं, छे एहवी मननी हूंस [टेक] नर नारी सोहें भला, अपछर सुरअवतार, साजन.... तिहां... १ गढ मढ मिंदर मालीया, पौल अनेक प्राकार, साजन... जाली गोख सुहांमणा, सुरगृह सम आकार, साजन... तिहां... २ ऊंची ध्वजां आसमानसूं, करै लहकंती वाद, साजन... सोवन कलसें सोभतों हांजी, पौढो जिनप्रासाद, साजन... तिहां... ३ वाजै वाजिब अति घणा हांजी, झालरना झणकार, साजन... अगर उखेवें आरती हांजी, गावे जिनगुण सार, साजन... तिहां...४ रंगमंडप मांहे रली हांजी, खेला खेलें खंत, साजन... तता-थेई-थेई ऊचरे हांजी, पय घूघर घमकंत, साजन... तिहां... ५ गुहिर सुरें मिल गोरडी हांजी, गावै जिनगुणभेव, साजन... भाव भावें भवि नित प्रतें हांजी, त्रिकरण करतां सेव, साजन...तिहां... ६ च्यारेई वरण तिहां वसइ हांजी, परगट पवन छत्रीस, साजन... नयर घणुं रलियामणुं हांजी, देखण हूइ जगीस, साजन... तिहां...७ गछपति जिहां पगलां ठवे हांजी, विजयजिनेंद्रसूरेंद्र, साजन... तेहथी अधिक प्रभा थई हांजी, नगरनी पुर जिम इंद, साजन... तिहां...८
इम अनेक गुणे करी, सोहे अति शिरदार, चाणसमां पुरवर भलौं, देवनगर उणहार. १ तेह नगर सुभ थानकैं, सकल गुणे सहितान, चारित्रपात्रचूडामणि, पंडितमांहें प्रधान. २
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