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________________ २०० . अनुसन्धान-६४ उगणसठ दिन एकेकी रत्ति, चंद्रसंवत्सर जाणे चित्त हो, सेवो.... .. नागकुमार साठ सहसना जांण, पढम पयरना बासठि विमांन हो. १५ सेवो.... दूहा त्रेसठ शिलाकापूरूषना, जांणे भेद जूगति, चोसठ इंद्रसेवित सदा, पैसठ रविमंडलपंति. १ . छासठ मंडल सूरना, जाणे मन अनुसार, .. सतसठ मांन नक्षत्रना, उपदेशक अधिकार. २ विमलनाथजिन साधूवर, अडसठ सहसना जाण, सात कर्म मोहनी विना, उगणोत्तर भेद वखाण. ३ मोहनीकर्मथिती अंतमै, नांणै न करे संग, अजितनाथगृहवासनी, थित जाणै मनरंग. ४ कला बहोत्तर जांणयै, विजयदेव बलदेव, तिहोत्तर लाख वरसनो, आयु कयो जिनभेव. ५ अगनिभूत गणधर तणौ, आयु चिहोत्तर वरस, सूबुद्धि(विधि) जिणंदना केवली, पंच्योत्तरसे सरस. ६ भूवन विद्यूतकुमारना, छिहोत्तर लाखना जांण, अकंपित गणधर आयुखो, अठ्योत्तर वरस प्रमाण. ७ जंबूद्वीपना गढ विषै, एकथी बिजी पौल, उगण्यासी सहस जोयण तणौ, अंतर जाणै न भोल. ८ ॥ इडर आंबा आंबली - ए देशी ॥ण इसांन देवलोके कहे रे, असि सहस्स सामानीक इंद्र, नव नवमीय भिक्खू परीतमा रे, दिवस जांणै मुनिइंद्र, . भविक जी(ज)न वंदो श्रीगुरुराय. १ जिन प्रणम्यां पातिक जाइं, सेव्यां संपत थाय भविक..... श्रीमहावीर ब्यासी रात्रना है, वसीया देवानंदाकुंख, गणधर श्रीशीतलतणा रे, यासीना जांणै सुख. २ भविक.... आदिसर अरिहंतरो रे, आयुखो आखै आप, श्रीआचारांगसूत्रना है, पंच्यासी उद्देसण थाप. ३ भविक.... Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520565
Book TitleAnusandhan 2014 08 SrNo 64
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2014
Total Pages298
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
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