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आवरणचित्र - परिचय
एक सचित्र विज्ञप्तिपत्रना चित्रविभागमांथी लीलां आ चित्राङ्कनो राजस्थानी (जोधपुरी) शैलीनां सुन्दर नमूनारूप छे.
आवरण १ पर मूकेल चित्रांशमां मङ्गलकुम्भ अने बे चामरधारिणीनां, अने तेनी नीचेनां छत्रनी बन्ने तरफ नृत्यरत बे नृत्याङ्गनाओनां नयनमनोहर चित्रो दर्शकोने कोई जुदा ज भावविश्वमां लई जाय छे. घेरा नेत्रोत्तेजक रंगो, नर्तनना लयमां लयलीन नृत्याङ्गनाओ, तेमनी विलक्षण अङ्गभङ्गी अने नृत्यमुद्रा, कुम्भनी, बे आंखोने लीधे, व्यक्त थती सजीवता, छत्र अने चामरनी रमणीय संयोजना, आ बधुं एक बाजु आंखने सन्तृप्ति अर्पे छे, तो बीजी बाजु चित्रकारनी कलाकुशलता चित्तने एक अनेरी प्रसन्नताथी छलकावी मूके छे.
आवरण ४ पर मूकेलुं चित्र एक विशाल फलकने आवरी ले छे. सहुथी उपर जोधपुरनो दुर्ग, अभेद्य किल्लो देखाय छे. किल्लानी फरते जल-भरेली खाईमां चिताराए कमल पण उगाड्यां छे. तेनी नीचे जोधपुरना इष्टदेव कांकरोलीनरेश श्रीठाकोरजी (श्रीकृष्ण) नुं मन्दिर दृश्यमान छे. बंसरी वगाडता श्रीकृष्णनो विग्रह, रात्रिमा अन्धकारघेरा अने बीजचन्द्रनी पातळी छायाथी प्रकाशित आकाशना परिप्रेक्ष्यमां केवो सोहाय छे !
तेनी नीचे बे बाजु बे मन्दिरो आलेखायां छे : एक ऋषभदेवजीनुं मन्दिरडाबी तरफ, अने जमणी बाजु जलन्धरनाथजीनुं (गोरखनाथनुं) मन्दिर. पहेलामां पीतवर्णनी जिनप्रतिमा अने बीजामां पादुका स्थापेल नजरे पडे छे. तेनी नीचे बजारनो तथा मार्गनो देखाव छे, जेमां व्यापारी, महेताजी, कन्दोई, होकाबाज बेठेला जोई शकाय छे, अने रस्ते जता लोको, साधु, तथा खरीदी करता नागरिको पण दृष्टिगोचर थाय छे.
आ चित्रो आ ज अङ्कमां २३ मा क्रमे मुद्रित वि. पत्रनां छे. आ पत्र डेलानो उपाश्रय, अमदावादमां सङ्गृहीत छे.
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