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अनुसन्धान-५४ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग-२
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कासुं वखाणु देहगां ए, थे (थे) आपइगां२७ आप, गाणपुग गलिआमj, नगमालडीए, निगखतु जाइ भव पाप, मनोगहीए, तुथे न करो इसड़ा जबाप. चुउमुख चाहइ चतुगलोक, च्यागे दगवाजा, गंगमंडप गलियामणो, देवलोक दवाजा, नाटयागंभ कगइ अनेक, जाणे सुगगंभा, थंभे थंभे पूतली, वाजइ वगभंभा, सात भोई सोहामणी ए, शिखग अतिहिं उत्तुंग, सगोगलोक सा थई सही, नगमालडीए, वाद कगइ मनगंग, मनोगहीए.
५५ नलिनी गुलम समाण, गाणपुग देहगुं कहिइ, असटापद संमेतशिखग, नंदीसग लहीइ, सगी सेत्तुंज अवताग वली तीगथ सइ जठइ, मन मोडं सइ माहगुं, माउए तठइ, तगणि भुवण जोइ आइआए, कठी न इसड़ा देव, आबू गोड़ा२८ सुंदगी, नगमालडीए, बोली बुद्धिवंत हेव, मनोगहीए.
[ढाल-५] आबूगिगि गलियामणु, सखी सोहइ नइं, मोहइ नई मोहइ नइं, विमलवसही मोगुं मन गमइए; विमलमंतीस कगाविआं, गूपामय सीधा नई सीधा नइं कीधां सइ आगास मइ ए. ५७ जाणइ सगोगथी ऊतगी, असड़ी पूतली सोहइ नई सोहइ नई चपलनयणी चित्त चोगणी ए; केवली विण कुण वगणवइ, तिणइ जिणहरि, झलकती झलकती, असड़ी अनोपम कोगणी ए. ५८ वसतिग वसही वखाणि, जगि जाणीइ,
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