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________________ ७६ अनुसन्धान ५० (२) इस स्तोत्र के तीसरे पद्य के अनुसार "नमो आयरियाणं" के जाप से "थम्भ" हो सकता है। पानी या आग को स्तम्भ करना एक कार्य है जो मन्त्रों के जाप से ही होता है । जैसे योगशास्त्र में लिखा है । पीतं स्तम्भे ऽरुणं वश्ये क्षोभणे विद्रुमप्रभम् । कृष्णं विद्वेषणें ध्यायेत् कर्मघाते शशिप्रभम् ।योगशास्त्र ८/३१॥ इस स्तोत्र के अन्त में जो अष्टदल कमल आता है वह प्रश्नगर्भपंचपरमेष्ठि-स्तव के दोनों अर्थों को स्पष्ट करता है । अष्टदल कमल प्रश्नोत्तर का एक प्रकार है और साथ ही वह ध्यान का यन्त्र या मण्डल का साधारण रूप भी है । योगशास्त्र ८/३३-३४ के अनुसार पंचपरमेष्ठियों के नमस्कारमन्त्र को वही रूप देना चाहिए७ । हस्तप्रत ऐसा लगता है कि प्रश्नगर्भ-पंचपरमेष्ठि-स्तव के हस्तप्रत कम हैं और इसीलिए ग्रन्थ का प्रसारण भी सीमित रहा है । New Catalogus Catalogorum में इसकी केवल दो प्रतियों का उल्लेख है । मैं ने इन दोनों उपलब्ध हस्तप्रतों का प्रयोग किया है । पू - यह हस्तप्रत Bhandarkar Oriental Research Institute पूणे का है । क्रमसंख्या ७४३ (अ)/१८९२-१८९५; पंचपाठ; पत्रसंख्या १; परिमाण २५ x १०'५; पंक्तिया १४, अक्षर ५५ । रचनासमय और लेखनसमय नहीं दिये हैं। लिपि स्पष्ट है। प्रश्नगर्भ-पंचपरमेष्ठि-स्तव पृष्ठ की सीधी तरफ पर है। इसके मध्य में अष्टदल कमल का रेखाचित्र है। परिसरों में वृत्ति लिखी श्वेताम्बर मन्दिर भूपतवाला, हरिद्वार, पृ. ११५); Acharya Sushil Kumar, Song of the Soul. An Introduction to the Namokar Mantra and the Science of Sound. New Jersey: Siddhachalam Publishers, 1987, p. 44 ७. यह भी देखिए : डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री, मंगलमन्त्र णमोकार एक अनुचिन्तन, दिल्ली, भारतीय ज्ञानपीठ, २००४ (१४ संस्करण) पृ. ६३ और पू. मुनिराज श्रीकुन्दकुन्दविजयजी महाराज सा., नमस्कार चिन्तामणि, श्रीजिनदत्तसूरि मण्डल, दादावाड़ी, अजमेर, १९८०, पृ. १४४ (श्रीचिन्तामणि पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर मन्दिर भूपतवाला, हरिद्वार, १९९९, पृ. ११५)। Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520551
Book TitleAnusandhan 2010 03 SrNo 50 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages270
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size11 MB
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