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मार्च २०१०
विगतो छे अने से विगतो परथी आ एक बेनामी transaction (व्यवहार) थयो होवानुं फलित थाय छे. शाह त्रिलोकशी प्रतापशी दुकान गिरवे आपनार छे. सामे पक्षे बाई पूजी जे ओश वंशना वृद्धि शाखाना वीरजी यादवनी पुत्री छे जेना त्रिलोकशी भरथार छे !
घणीवार धंधामां मोटी खोट आवी होय के आवनार होय तेम लागे त्यारे देवामां पोतानी अंगत मूडी बधी जती न रहे ते माटे केटलीक मूडी आजेय पत्नीना नामे थती होय छे जेथी खराब समये ते टांचमां जती बची शके. अहीं पण ओवी कोई शक्यता जणाता थयेलो व्यवहार छे. त्रिलोकशीने पैसानी जरूर छे अने ते पोतानी पत्नी अने ससरा पासेथी गिरवे ले छे. पंक्ति ३५३६मां पैसानी चुकवणी बाबते स्पष्टता करवामां आवी छे के, हाट गिरवे राखनार अनी पत्नीए ४९८ रू. सुखडी रूपे आवेल पोतानी अंगत मूडी नाणांमांथी मुहुरना आपेल छे. तथा सेना पिताश्रीओ वीरजी यादवे ३२५ रू. दीकरीने आपेल छे. अनी पासे आ बधा पैसा सुखडीना भाग रूपे आवेला, बचावेला स्त्रीधन रूपे हता. आ विगत स्पष्ट करे छे के दुकान गिरे आपीने, दुकान बचावी लेवानी आ कायदेसरनी युक्ति छे. आवा बेनामी व्यवहार से जमानामां थता हता तेवुं आ दस्तावेज स्पष्ट करे छे.
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वळी, सुखडीना पैसा अर्थात् दस्तूरी लेखे दीकरीने के पत्नीने पैसा अपाता तथा ते तेनुं पोतानुं धन गणातुं. स्त्रीधनने कायदो स्पर्शतो नथी, एटले अहीं पत्नीने ज हाट गिरवे अपाय छे.
त्यारबाद हाटनुं वर्णन तथा खूंटनी विगतो छे ते मुजब प्रस्तुत हाट ३ खण्डवाळु, पश्चिमाभिमुखी, उपर पीटणी अने गुखा (पाटडो अने गोखला ) साथेनुं छे. आगला भागे पेढी तरीके बनावेलो ४थो खण्ड छे. पेढी एटले दुकाना आगला भागमां मोटो ओटलो होय. त्यां मालिक गादी नांखीने बेसता होय, जेथी आवता-जता ग्राहको पर नजर रही शके. घणीवार अनी आगळ कठेडा जेवुं बनाववामां आवतुं. आजे होटलोमां थडे बेठेल मेनेजर कहीओ छीओ तेवुं कांईक आ छे. पण दुकाने ओटलाना पगथियांनी नीचे ओक के वधारे मोटां पगथियां होय जे मुख्य रस्ताथी थोडुंक ऊंचे होय. आ हाटनी रचना पण आवी छे. आगळना कठोडावाळा भागे नळियावाळु छापरु छे, जेथी
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