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अनुसन्धान ५० (२)
पंच पंच पाले पंच पंच टाले, छ छ नो करे विचार सात कुं टाले आठ कुं गाले, वेही सुध्य अणगार
माया छांया ओक कही, घटे बवन के जोर' रज विरज उंची रही, नर माइ के पांण पथर ठोकर खात हे, करडाइ के ताण
अवगुण उर धरिये नहि, जोहो वे वृक्ष बंबुल
गुण लीजे कालु कहे, नहि छांयामें शूल जल निकट उज्वल वरण, ओक पग चित्त ध्यान में जाणुं कोइ सन्त हे, महा कुपट की खाण
चार कोशका माण्डला, वेवाणी का जोरा
भारे करमी जीवडा, उठे बी रहे गया कोरा दस द्वारको पीजरो, जीसमें पंछी पौन रहे अचंबो मानीये, गये अचंबो कोन ? ___ मस्तक गण्ठी मत हरे, बीच गण्ठी धन खाय
छोटी लेखण जे लीखे, जडामूलसुं जाय फीट फीट थारी पाघडी, रंग हमारी चूडी अबारका मोटीयारा सुं, लोगाव्या हे रूडी
धोला सो मंदिर भला, काला भला ज केश
आभरण तो पीला भला, राता भला ज वेश इति सम्पूर्ण संवत १९६१ का चैत्र सुदी पांच ने वार रविये देश दक्षण इलाख मोगलाइ जीला ओरंगाबाद तालुका अंबड पोस्ट बामुंटाकली मुकाम व्यावमांडा लिखीसुंत पूज्य साहेबजी श्री श्री श्री १००८ श्री कानरीखजी महाराज का खंभात संपदा का पुज्य भाणजी रखजी तत् शिष मूनि तपसीजी हीरारखजी मम गुर तष प्रतापे अमीरख साधु स्व आत्मा अर्थ ।।
(आनन्द आश्रम, घोघावदर, ता. गोंडल, जि. राजकोट ३६० ३११
दूरभाष : ०२८२५-२७१५८२, २७१४०९, मो. ९८२४३ ७१९०४) १. आ दोहानी एक पंक्ति रही गई छे.
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