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________________ श्रीजम्बूविजयजी महाराजने स्मरणांजलि - शी. श्रीजम्बूविजयजी महाराजः संशोधन-क्षेत्रनुं ओक मोटुं नाम ! शास्त्रो अने विद्याओ अने भाषाओना जगतनुं ओक महान नाम ! वीसमी-अकवीसमी सदीमां, जैन संघमां, जे थोडीक-विरल अने विलक्षण प्रतिभाओ पेदा थई छे, तेमां श्रीजम्बूविजयजीनुं नाम प्रथम पंक्तिमां मूकी शकाय, तेवी अद्भुत तेओनी मेधा, प्रज्ञा अने प्रतिभा हती. ज्ञानावरणीय कर्मना क्षयोपशमनी विचित्र उच्च कक्षा, आपणा युगमां, जे गणीगांठी व्यक्तिओओ सिद्ध हती, तेमां पण जम्बूविजयजी महाराजनुं नाम निःशंकपणे मूकी शकाय. अमनी प्रज्ञाने पण्डित सुखलालजी जेवा महाविद्वाने प्रीछी हती. आगमप्रभाकर मुनिराज श्रीपुण्यविजयजी महाराजे ओमनी प्रतिभाने प्रमाणी हती. देशना तथा विदेशोना आगम, दर्शन, साहित्य, तत्त्वज्ञान वगेरे अनेक विषयना अनेक विद्वज्जनोजे तेओनी विद्वत्ताने पोंखी हती. अमना जीवननी विगतो हजी सुधी तो तेमणे प्रकाशमां आववा नथी दीधी. ते तेमनी निर्लेप वृत्ति हती. हवे तेमना शिष्यो द्वारा तेमना जीवननो परिचय समाज समक्ष मूकाय तो ते अपेक्षित छे, आवश्यक पण गणाय. परन्तु, जाडा अंदाजमां अम कही शकाय के तेमणे बहु नानी-११-१२ वर्षनी वये जैनी दीक्षा, पोताना पिताजी तथा माताजी साथे ग्रहण करी हती. तेमना पिता मुनिश्रीभुवनविजयजी अने माता साध्वी श्रीमनोहर श्रीजी नामे हता. ते बन्ने पोतानो आ पुत्र खूब ज्ञानसम्पन्न बने ते माटे अथाग उद्यम को हतो, अने तेमना ते सभान परिश्रमना परिणामे ज श्रीजम्बूविजयजी, आवा दिग्गज विद्वान अने ज्ञानी साधु तरीके निर्माण थयुं हतुं, तेम आपणे समजी शकीले छीओ. संस्कृत, प्राकृत, गुजराती, हिन्दी, अंग्रेजी आटली भाषाओ तो तेमने सहजसाध्य हती ज. पण ते उपरांत बीजी दशेक भाषाओ तेओ शीखेला, जेमां टिबेटन (भोट) भाषा अने फ्रेन्च भाषानो खास समावेश थाय छे. फ्रेन्च भाषा ____Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520551
Book TitleAnusandhan 2010 03 SrNo 50 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages270
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size11 MB
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