________________
March-2002
Www moc
स्युक भखी ताय अंद्री आलुअणी
वीनो
४०
oc moc c
४१
or
ococc
mr
शुक भक्ष्य • त्याग इंद्रिय आलोयणा-प्रायश्चित्त विनय वैयावच्चा० पातक एकचित्त योगे सौम्यप्रकृति क्रूरदृष्टिए दाक्षिण्य मध्यस्थवृत्ति लब्धलक्ष्य धरजो अतिशय अरिहा-तीर्थकर मयगल-हाथी उपभोग अविरतिने पोहेचइ-पहोंचे सहजना पर्षदा योजनगामिनी ईति-उपद्रव इंद्रध्वज
m
वयावछा० पात्यग एकच्यंत युगि सोमप्रगति करूरद्रीष्ट दारव्यण मध्यशरवर्ती लभधिलखी धर्यो अतीसहइ अरीआ मेगल अवभोगाइ अवर्तीनिं पोहइचइ सहइजना परखधा जोयणगाम्यणी
CU
३
mm 6 m moc wwc wwc m
G
१
६२
३
अंद्रधज
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org