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March-2002
दीप जबुअ माहा खेत्र भरति भलु, दे [स गुजरा]तिम्हा सोय गास्यु । राय वीसल दडो च्यतुर जे चावडो, नगर विसल [तिणइ वेगि] वास्यु
॥६॥ पूण्य० ॥ सोय नगरिं वसइ प्रागवंसि वडो, मइहइराजनो सूत ते [सीह] सरीखो। तेह त्रंबावतिनगरवाशिं रह्यु, नाम तस संघवी सांगण पेखो ॥६२॥
पूण्य० ॥ एहनिं नंदनि ऋषभदासि कव्यु, नगर त्रंबावतीमाहिं गायु । पूण्य पूर्ण भयु काज सषरो थयु, सकल पदार्थ सार पायु ॥६३।।
__ पूण्य प्रगट भयु० २ ॥
अतीश्रीवरतवीचाररास संपूर्ण ॥ संवत १६७९ वर्ष चईत्र वदि १३ गुरुवारे लषीतं ॥ संघवी ऋषभदास सांगण० ॥ गाथा० ॥ ८६२ (३) ॥
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