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अश्वधाटीकाव्य
नीलांजना सु. शाह प्रस्तावना
___'अश्वधाटीकाव्य' नाम- २६ श्लोकोनुं आ लघुकाव्य तांजोरना जगन्नाथ पंडिते रचेलुं छे. कृष्णशास्त्री भाटवडेकर वडे संपादन पामेल 'सुभाषित रत्नाकर' नामनो सुभाषितसंग्रह जे ई.स. १८७२मां मुंबईमां प्रकाशित थयो छे, तेमां आ काव्य सचवायुं छे. आ काव्य पर कृष्ण नामना पंडिते रचेली 'दर्पण' नामनी व्याख्या पण तेनी साथे ज प्रकाशित थयेली छे.
आ काव्यनो मुख्य हेतु मनुष्यने सांसारिक विषयोमांथी पाछो वाळी ईश्वर तरफ अभिमुख करी तेने आत्मकल्याणना पंथे पळवा माटे प्रेरवानो छे.
आ काव्यना कर्ता जगन्नाथ पंडित ओ तांजोरना मराठा राजा सरफोजी (ई.स. १७१२-१७२७)ना राजकवि हता.२ तेमणे आ काव्यमां देवी-पार्वतीने 'तञ्जापुरेशि' ओम जे संबोधन कर्यु छे ते आ बाबतनुं समर्थन करे छे'ज्ञानविलास' अने 'शरभराजविलास' नामनी बे संस्कृत कृतिओना कर्ता जगन्नाथ अने आ कृतिना कर्ता जगन्नाथ एक होवानो संभव छे कारण के ते जगन्नाथ पण तांजोरना आ सरफोजी राजाना समयमां थई गया जणाय छे.
___ कविए पोते आ काव्यना अंतमां का छे तेम तेमणे सहुने गमे तेवू आ काव्य पोताना पुत्र रामनी इच्छापूर्तिने माटे रच्युं हतुं. आ काव्यना कर्ता विशे बीजी खास माहिती प्राप्त थती नथी, पण काव्यनो प्रत्येक श्लोक संस्कृत भाषा परना तेमना प्रभुत्वनी प्रतीति करावे छे. राम, कृष्ण, शिव अने पार्वतीने वर्णवता श्लोकोमा जे अनेक पौराणिक संदर्भो आ जगन्नाथ पंडिते
१. कृष्णशास्त्री भाटवडेकर (सं), सुभाषितरत्नाकर (चतुर्थ संस्करण, मुंबइ-१
ई.स. १९१२), पृ. ३१६-३३०. २. Ludwick Sternbach, Mahasubhasita Samgrahah, Vol.1, (First
Edition, Delhi, 1974 Intro. pp. LXXXII-IV. 3. M.Krishnamachariar, History of Classical Sanskrit Literature
(Third Edition Delhi, 1974), p. 241, 245.
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