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________________ 245 संगत थतो नहोतो एटले ए हुं न स्वीकारी शक्यो, परंतु एमणे उठावेलो मुद्दो तो एकदम साचो हतो. में फरीने जोयुं तो मारा 'मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश'मां 'मधुर' शब्द ज 'विष'ना अर्थमा हतो. हुं समजी गयो के मारा संदर्भमां 'विष'नो 'मधुर' अर्थ ज बंध बेसतो होय तो पण एने माटे आधार शोधवानो बाकी ज रहे अने अर्थ हुं आपवा इच्छं तोये मारे ए प्रश्नार्थ साथे ज आपवो जोईए. भायाणी साहेब तो एक अभरे भर्यो भंडार. ए भंडारने लूंटवामां में कदी संकोच अनुभव्यो नथी अने एणे पोताने लूटावा देवामां नहीं. मारी तो चालु कामे फोननी घंटडी रणकावीने पूछी लेवानी आदतने भायाणीसाहेबने पण एमना चालु कामे ज जवाब आपवानो थतो हशे. कोईवार तो खांखांखोळां करीने जवाब आपे. बी.ए.नो गुजराती व्याकरणनो नवो अभ्यासक्रम भणाववानुं में माथे लीधुं त्यारे माराथी थई शके ते तैयारी करीने में भायाणी साहेब साथे नियमित बेठको करी. अनुं पुस्तक हुं लखुं ए जोई आपवानी जवाबदारी तो एमणे पोते ज स्वीकारी हती. एमणे जोई लीधा पछी (ची.ना.) पटेल साहेबे आरंभना प्रकरणमा एक प्रश्न उठाव्यो अने भायाणीसाहेबे एनुं समर्थन कर्यु. में आखी सामग्री फरी वार कठोर परीक्षणपूर्वक जोई जवानी जवाबदारी भायाणीसाहेब पर नाखी अने ए पण एमणे बराबर पार पाडी. भायाणीसाहेब सामे बेसवा माटे तो आ पछी हुँ भाषाविज्ञानना डिप्लोमा अभ्यासक्रमनो विद्यार्थी बन्यो. 'मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश'ना मारा सधळा परिश्रम पछी मूंझवणभरेला रहेता शब्दो माटे एकाद वरस सुधी भायाणीसाहेब साथे केटली बधी बेठको करी ! छेल्ले-छेल्ले एमनी नादुरस्त तबियत वेळा पण 'स्थूलभद्र चंद्रायणि' जेवी उत्तम कृतिना केटलाक शब्दार्थो माटे भायाणीसाहेबने तकलीफ आपवानी लालच हुं रोकी शक्यो नहीं अने बे दिवस बे-बे कलाक एमनी साथे बेठो. फारसी शब्दोना प्रचुर उपयोगवाळी आ कृतिनो घणी साफसूफी पछी बचेलो आ कूथो हतो. भायाणीसाहेब, एमणे पोते पण स्वीकार्यु तेम, खास कशा उकेल आपी शक्या नहीं. पण एक स्थानने पण भायाणीसाहेब एमनी आगवी सूझथी उघाडी आपे ए मारा जेवाने तो लाख रूपियानी लोटरी लाग्या जेवू लागे. एवं तो बन्युं ज. कृतिनी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520518
Book TitleAnusandhan 2001 00 SrNo 18
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages292
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size15 MB
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