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________________ विद्यानो मोजभर्यो व्यासंग जयंत कोठारी स्व. मोहनलाल दलीचंद देसाई मामाने घेर जईने आवता होय अने कोई पूछे के क्यां जई आव्या तो कहेता के हुं मंदिरे जई आव्यो. मने पण ओवी थोडी व्यक्ति मळी छे, जेमनी पासे बेसवामां जाणे कोई तीर्थस्थानमा बेठा होईए एवो भाव थयो छे. तक मळ्ये ओमनुं सान्निध्य सेववा- मन थया करे. भायाणीसाहेब एटले के हरिवल्लभ भायाणी मारे माटे आवी तीर्थस्वरूप व्यक्ति बनी रह्या छ- एक विद्यातीर्थ लांबी चालेली मांदगी दरम्यान तबियत कंईक सुधरी अने जरा बहार नीकळवा- मन थयुं त्यारे भायाणीसाहेब ज मनमां आव्या. एमनी साथेनी ज्ञानगोष्ठि विना पसार करेला दिवसो मारे माटे उपवासना दिवसो जेवा हता. एमनी मळीने ज जे भूख भांगी. भायाणी साहेब सामे बेसवा तो हुँ भाषाविज्ञानना डिप्लोमा-अभ्यासकमनो विद्यार्थी पण बन्यो हतो. भायाणी साहेब पासे बेठा होईए एटले विद्यानो अजबगजबनो खजानो खुल्लो थाय. केटकेटली विद्याशाखाओमा एमनी अनवरुद्ध गति ! संस्कृत अने अर्धमागधीना तो ए विद्यार्थी, प्रथम वर्गनी कारकिर्दी धरावनार अने एम. ए.मां भगवानदास पारितोषक तथा झाला वेदान्त पारितोषिक मेळवनार तेजस्वी विद्यार्थी. पीएच.डी. थया अपभ्रंश महाकाव्य 'पउमचरिय'नुं संशोधन-संपादन करीने. आ अने आवां बीजां संशोधन-संपादनोथी प्राकृत-अपभ्रंशना अभ्यासमां एवं अर्पण कर्यु के एना ए राष्ट्रीय-आंतरराष्ट्रीय कक्षाना मान्य विद्वान बनी रह्या. प्राकृत-अपभ्रंशना अभ्यासीने माटे जूनी गुजरातीना अभ्यास तरफ वळवू ए सहज गणाय अने भायाणीसाहेबे अनेक संपादनो द्वारा ए विषयमा पोतानो अधिकार स्थापित करी आप्यो. 'मध्यकालीन गुजराती कथाकोश' रचीने ए विषयना पोताना अभ्यासने शग चडावी. आ उपरांत, विविध भाषाओनो अभ्यास भायाणी साहेबने व्युत्पत्ति अने भाषाविकासना अभ्यास तरफ दोरी गयो. एमां एमणे केळवेली सज्जताए एमने भाषाविज्ञानना अध्यापक सुद्धां बनाव्या. अने ए जैतिहासिक भाषाविज्ञाननी सांकडी सीमामा पुराई न रह्या. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520518
Book TitleAnusandhan 2001 00 SrNo 18
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages292
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size15 MB
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