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________________ 140 जेवत तस्य पुत्र सां. रंगजीनो, तेना मधे मुलना० श्रीपदमप्रभुजी आदे प्रतमा १० ने मारो०. तथा धातुनी प्रतमा १ ने मारो०. तथा ऐज देरानी उतरादी कोरे गढना थडमां पीपलानो जाड पण उभो छे. ५२. तीहाथी चले हाथीपोले भीतमधे हाथीने आगल पेसता जमणी बाजु उतरादी कोरे आलीया मधे प्रतमा २ ने मा०. तथा ऐ ज हाथीने उपर भीत मधे आरसरतन १ मधे प्रतमा ह्रींकार २४ ने मारो०. तथा दाबी बाजु दखणादी कोरे हाथीने आगल भीत मधे आरसरतनना ॐकार मधे प्रतमा ५ ने मारो०. तथा ए ज हाथी पासे थी रसतो दखणादी कोरे सुरजकुंडे जाई छे. तीहां सुरजकुंड १ छे, तथा भीमकुंड १ छे, तथा ईसवरकुंड १ छे. तथा पासे फुलवाडी छे. तथा देरी १ मधे पगला छे. तथा देरी बीजी मधे जटाधारी मादेवजी बेठा छे. तथा सुरजकुंडनी उगमणी कोरे पाड मधे प्रतमा ३ छे, तथा दखणादी कोरे सनमुख श्रीसेनुंजी नदी देखाइं छे. ५३. तीहाथी चले हाथी पोलनी माहेली कोरे पेसता जमणी बाजु उतरादी कोरे देरी १, तेना मधे माता गुणपतीजी बेठा छे. तथा दाबी बाजु दखणादी कोरे देरी १, तेना मधे माता अनपुरणाजी बेठा छे. तीहाथी चले पुंडरीकजीना पोलमा पेसता उपर पगुठीयो चडता आथमणी कोरे सनमुख प्रथमसवामीनो देरो १, ५४. श्रीराज-कोटानगरे ओसवालज्ञातीय वृधसाखायां दोसी करमासाई प्रथम भारजा कपुरदेवी तथा कमलदेवीइं प्रमुख सवंत १५८७ वरषे वैसाख वद ६ सुरजवारेनी प्रतीष्ठा करी छे. तेना मधे मुलना० श्रीमत् आदीनाथजी [आदे० प्रतमा] ५८ ने मारो०. तथा रंगमंडपनी फरती भमती मधे प्रतमा ८९ने मारो०. तथा उतरादी कोरे आरस रतनना ह्रींकार १ तेना मधे प्रतमा २४ ने मारो०. तथा दखणादी कोरे आरसरतन १ मधे ॐकार मधे प्रतमा ५ ने मारो०. तथा रंगमंडप मधे प्रभुने सनमुख हाथी १, तेना उपर माता श्रीमरुदेवीजी तस्य पुत्रा भरतचक्री बेठा छे. तथा ऐ ज हाथी पासे जोडाजोडे उतरादी कोरे हाथी बीजो, तेना उपर माता मरुदेवीनी वहुरो सुनंदाजी तथा सुमंगलाजी दीकरा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520518
Book TitleAnusandhan 2001 00 SrNo 18
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages292
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size15 MB
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