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________________ १. २. ३. ४. 122 श्रीसिद्धाचल तीर्थ - चैत्यपरिपाटी कर्ता : शा. मालजी नागजी कच्छी श्री गणेसाऐ नमः ॥ श्री जंबुधीपमधे दखणात भरतखेत्रे श्री सोरठदेसमधे सीधखेत्रे श्रीपालीताणानगरे देरो १ श्रीदीवबंदरवाला श्रीमाली ज्ञातीय वृद्धसाखायां दोसी भीमजी तस्य पुत्र दोसी रूपचंदे संवत १८१७ वरषे माहा सुद २ गुरुवारेनी प्रतीष्ठा करी छे. तेना मधे मूलनाऐकजी श्री आदीनाथजी आईने प्रतमा ८६६ ने मारो नमसकार छे, ता धातुनी प्रतमा २२ ने मारो नमसकार छे, तथा धातुना चोवीसवटा चार मधे प्रतमा ९६ ने मारो नमसका०, तथा आरस - रतनना सीधचक्र २ मधे प्रतमा २ ने मारो नम०, तथा रूपाना सीधचक्र ३ ने मारो० तथा रंगमंडपमधे घंट वाजे छेतेनी पासे दखणादी कोरे आलीयामधे सरसतीजीना माथा उपर प्रतमा १ ने मारो०. तथा ऐ ज देरानी दखणादी कोरे पाणीनो कुओ छे. तीहाथी चले हेमकुंअरबाईने बंगले गरदेरासर १, तेना मधे धातुना मूलनाऐकजी श्रीगोडीपारसनाथजी आदे देईने प्रतमा ४ ने मारो नमसकार छे. तथा ओंकारमा प्रतमा ५ने तथा ह्रींकारमा प्र० २४ ने मारो न० तीहाथी चले श्री सीधाचलजी जाता सेतुंजाना दरवाजामांथी बारे नीकलता सनमुख श्री सेनुंजाना दरसन थाऐ छे. तथा ऐ ज दरवाजानी डाबी बाजु उगमणी कोरे तलाव १ ललीतासर तलाव छे, ऐ ज तलाव मधे चोतरा उपर देरी १, तेना मधे श्रीआदीनाथजीना पगलानी जोड १ ने मारो न०. १ 1 तथा ऐ ज दरवाजानी जमणी बाजु आथमणी कोरे श्रीसंघनो वरंडो तेनो बारणो देखाऐ छे. तथा ऐ ज वरंडा मधे सामीवछल- जमण तथा नोकारसी जमण तथा झांपे चोखा - जमण घणा घणा थई रया छे. तीहाथी चले श्रीसीधाचलजी सनमुख जाता रसतानी आथमणी कोरे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520518
Book TitleAnusandhan 2001 00 SrNo 18
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages292
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size15 MB
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