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___ 108 विवरणोनां मूळ प्रथम आर्य श्याम (प्राय: ई.स.पू. ५०-ईस्वी २५) विरचित, पण वर्तमाने अनुपलब्ध, लोकानुयोग नामक ग्रंथ हतो. तेमां लोकना त्रण विभाग तेम ज तेनी अंदर, पछीथी निर्ग्रन्थ-मान्य बनेली, भूगोळ-खगोळ आदिनी कल्पनाओनो विस्तार होवो जोईए. उपर कह्या ते जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति आदि आगमोए मूळ लोकानुयोगमांथी पोतानी लोक संबंधी तमाम कल्पनाओ उतारेली होवार्नु, प्राप्त करी होवानुं संभवी शके छे. अने ए बधा ग्रंथोना आधारे वाचक उमास्वातिए क्षेत्रसमास (प्रायः ईस्वी ३५०) नामक लघुग्रंथनी रचना करेली अने जिनभद्रगणि क्षमाश्रमणे बृहसंग्रहणी (प्रायः ईस्वी ५७५) आदि ग्रंथोनी रचना करेली.
प्रस्तुत पश्चात्कालीन आगम-ग्रंथोना कथन अनुसार देवकल्पोमां सर्वोपरि पांच अनुत्तर विमानोमांथी सौथी उपला, पांचमा, अने अथी छेल्ला कल्प 'सर्वार्थसिद्ध'ना विमाननी स्तूपि (कळश)थी १२ योजन उच्चपणे 'ईषत्प्राग्भारापृथ्वी' आवेली छे, जेना पर सिद्धो, एटले के निर्वाण-प्राप्त मुक्तात्माओ, शाश्वतकाळ माटे निवास करे छे. अने ते ज ए छे जे व्यवहारनी भाषामां 'सिद्धशिला' कहेवाय छे. आ ईषत्प्रारभारा-पृथ्वीनुं विगते वर्णन विशेषे गुप्तोत्तर काळमां रचायेला तीर्थावकालिक-प्रकीर्णक आदि ग्रंथोमां मळी
आवे छे तदनुसार तेनी लंबाई ४५,००,००० योजन (दिगम्बर मते . १८०,००,००,००,०० माइल) छे. तेनो छेडो माखीनी पांखथी पण पातळो छे. ते शंख, गोक्षीर, अंकरत्न अने रजतपट समी उज्ज्वळ छे. तेना छेल्ला गाउना छठ्ठा भागमां मुक्तात्माओ निवास करे छे. आ बधी छेल्ली मान्यताओ संबंधना आगमिक अने अगमपश्चात्नां लेखनोना संदर्भो अहीं आपतो नथी.
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