________________ जिन सूत्र भाग: 1 इस शब्द 'सहज' को खूब-खूब मंथन करना, चिंतन करना, सहज उदभावना से परिचित न हो पायेगा। क्योंकि पहले से ही ध्यान करना। यह शब्द बड़ा बहुमूल्य है। इस शब्द का अगर प्रेम के मार्ग पर झूठ खड़ा हो गया। तुम्हें अर्थ-विस्फोट हो जाये तो तुम्हारे जीवन में क्रांति हो | न, मां इतना ही कर सकती है कि अगर उसे बच्चे के प्रति प्रेम जायेगी। 'सहज' का अर्थ है जो तुम्हारे बिना किये अपने से है तो करे प्रेम। अगर उस प्रेम के संघात में, अगर उस प्रेम के होता है। बहुत कुछ है जो सहज हो रहा है। उस पर भी तुम | संसर्ग में बच्चे की सहजता भी प्रफुल्लित हो उठेगी तो हो अपने को आरोपित किये हो। तुम कहते हो, 'मैं'। किसी से उठेगी-सौभाग्य! न हो तो मजबूरी है। हो जाये तो सौभाग्य; प्रेम हो जाता है, तुम कहते हो, 'मैं प्रेम करता हूं।' होता है। न हो तो कुछ किया नहीं जा सकता, असहाय अवस्था है। हो तत्क्षण तुम बदल देते हो भाषा। तुम कहते हो, करता हूं! किसी | जाये तो धन्यभाग। परमात्मा को धन्यवाद दिया जा सकता है। ने कभी प्रेम किया? सुना कभी तुमने कि किसी ने प्रेम किया? न हो तो शिकायत करने का कोई उपाय नहीं है। स्वीकार कर कोई प्रेम कर सकता है? अगर मैं तुम्हें आज्ञा दूं कि करो प्रेम, | लेना होगा, यही भाग्य है। तुम कर पाओगे? तुम कहोगे, यह भी कोई आज्ञा की बात है? लेकिन इतना ही किया जा सकता है कि मां बच्चे को अगर प्रेम यह कोई मेरे किये से होगा? होगा तो होगा। नहीं होगा तो नहीं करती है तो करे। अगर उसके भीतर प्रेम का आविर्भाव हुआ है होगा। होता है, तो होता है। नहीं होता है, तो नहीं होता है। जब | तो उलीचे, लुटाए, बरसाए। इस बरसा में ही बच्चे की वीणा भी हो जाता है तब रुका नहीं जा सकता; और जब नहीं होता है तब बजेगी-बजनी ही चाहिए। इस प्रेम के परिवेश में बच्चे का किया नहीं जा सकता। | सोया हुआ प्राण जाग्रत होगा। बच्चे के बीज-प्रेम लेकिन फिर भी तुम प्रेम पर भी थोप देते हो अहंकार को। तुम | के-अंकुरित होंगे। यह प्रेम सब तरफ से बरसता हुआ उसके कहते हो, मैंने किया प्रेम। तुम कहते हो, मैं तो प्रेम कर रहा हूं भीतर भी प्रेम की हुंकार को उठाएगा। यह प्रेम का आह्वान उसके और तुम नहीं कर रहे हो। और हम यही सिखाते भी हैं। भीतर भी चैतन्य को जगाएगा। वह भी प्रेम से भरेगा, लेकिन छोटे-छोटे बच्चों को भी मां कहती है, मुझे प्रेम करो, मैं तुम्हारी तब प्रेम का सहज अनुभव होगा। एक दिन अचानक पायेगा वह मां हूं। क्या पागलपन की बात हो रही है? कौन कर पाया मां को प्रेम करता है। करता है-भाषा की बात; पायेगा कि मां प्रेम? बच्चे की तो छोड़ दो, बड़े नहीं कर पाये। बड़े-बड़े | से प्रेम है। और तब उसके जीवन में एक बात निश्चित हो जायेगी कुशल नहीं कर पाये। प्रेम को करोगे कैसे? कोई तुम्हारे हाथ कि भूलकर भी प्रेम को कृत्य न बनाएगा। की बात है? प्रेम कोई कृत्य तो नहीं। लेकिन अगर बच्चे को शिक्षक कहते हैं, सम्मान करो, श्रद्धा करो। श्रद्धा कहीं कोई तुमने जोर दिया कि करो मुझे प्रेम, मैं तुम्हारी मां हूं, तो बच्चे को करता है ? होती है। तुम एक ऐसी असमंजस में, ऐसे संकट में, ऐसी विडंबना में मैं विश्वविद्यालय में बहुत दिन तक था। शिक्षकों की एक ही डाल रहे हो जिसका तुम्हें कुछ पता नहीं कि तुम क्या कह रहे हो। परेशानी कि श्रद्धा खो गयी, कि विद्यार्थी आदर नहीं करते। मैंने छोटा-सा बच्चा तड़फेगा; सोचेगा; कैसे करो प्रेम! लेकिन बार-बार शिक्षकों के सम्मेलन में कहा कि यह बात ही तुम गलत करना ही पड़ेगा; क्योंकि मां पर सब निर्भर है। दूध निर्भर है, | तरफ से उठाते हो। श्रद्धा कोई कर सकता है? और जो की गयी जीवन निर्भर है। मां के सहारे ही बच सकता है बच्चा। बाप श्रद्धा थी वह झूठी थी, इसलिए उखड़ गई है। कहेगा, 'मुझे प्रेम करो, मैं तुम्हारा बाप हूं। मैंने तुम्हें जन्म यह सदी थोड़ी सचाई की तरफ ज्यादा झुकी सदी है। आज का दिया!' अब जन्म देने से कोई प्रेम का लेना-देना है? लेकिन युवक अतीत के युवक से सचाई की तरफ ज्यादा झुका हुआ बच्चा चेष्टा करेगा कि ठीक है; जब सब कहते हैं, बड़े-बूढ़े युवक है। कहते हैं तो करना ही होगा। तो झूठा मुस्कुराएगा, झूठे पैर एक मां अपनी बेटी को कह रही थी कि जब तक मेरा विवाह छुएगा, झूठी प्रसन्नता जाहिर करेगा। शुरू हुआ पाखंड! फिर नहीं हुआ तब तक मैंने किसी पुरुष का स्पर्श भी नहीं किया था। जीवनभर ऐसे ही झूठ में जीयेगा। फिर मर जायेगा और प्रेम की क्या तू भी बड़े होकर अपने बच्चों से यही कह सकेगी? 606 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org