________________ हला प्रश्नः कल आपने बताया कि महावीर ने कारण कि उन प्रश्नों के उत्तर लोगों को गलत अर्थों में ले जाते हैं। प्रेम शब्द का उपयोग नहीं किया, क्योंकि लोग तो बुद्ध के मरने के बाद जो सबसे बड़ा विवाद बुद्ध के उसका गलत अर्थ लेते हैं और यह कि आज | अनुयायियों में उठा, वह यह था कि बुद्ध इन प्रश्नों के संबंध में लोग अहिंसा का गलत अर्थ लेते हैं, इसलिए आप प्रेम शब्द | चुप क्यों रह गये। और बुद्ध-धर्म के जो खंड-खंड टुकड़े हए, का उपयोग करते हैं। पर जैसा लोग महावीर के समय में प्रेम वह उनके चुप रह जाने की वजह से हुए। क्योंकि किसी ने कहा शब्द का गलत अर्थ करते थे, क्या आज भी वही स्थिति नहीं कि वे चुप रह गये, क्योंकि जो उन्होंने जाना वह शब्द में प्रगट है? और आपके द्वारा सर्वाधिक उपयुक्त शब्द, प्रेम, क्या करने योग्य न था। किसी ने कहा, वे चुप रह गये, क्योंकि वहां आज भी खतरे से भरा नहीं है? | जानने को ही कुछ नहीं है; प्रगट करने का सवाल ही नहीं है। किसी ने कहा, वे चुप रह गये, क्योंकि उन्हें पता ही नहीं चला. शब्द-मात्र खतरे से भरा है। क्योंकि जैसे ही बोला गया शब्द, तो बोलते क्या? बोलनेवाले की मालकियत उस पर समाप्त हो जाती है। चुप्पी का भी तो तुम अर्थ करोगे! तो अर्थ से तो बचा नहीं जा सुननेवाला मालिक हो जाता है। कुछ मैंने कहा, कहते ही मैं | सकता। तो उपाय क्या है? उपाय यही है कि जिसे जो शब्द मालिक नहीं रहा; सुनते ही तुम मालिक हो गये। अब तुम क्या ठीक लगे, वह उसका उपयोग करे और सब तरह से, हर दिशा अर्थ करोगे तुम पर निर्भर है। से, उस शब्द को परिभाषित करे। जितने दूर तक संभव हो तुम्हें तो जो शब्दों से डरते हों, उन्हें तो बोलने का ही उपाय नहीं है। मौका न दे कि तुम अपना अर्थ प्रवेश कर पाओ। इस तरह की क्योंकि अर्थ मैं नहीं डाल सकता; अर्थ तो तुम डालोगे। मेरा परिभाषा करे, सब तरफ से इस तरह का पहरा बिठाये शब्द पर, अर्थ तो मेरे हृदय में रह जायेगा; शब्द की खाली खोल तुम तक फिर भी अगर तुम गलत अर्थ करना चाहो तो करोगे ही। जायेगी; आत्मा फिर तुम उसमें डालोगे। तो अर्थ तो सदा लेकिन सत्य का गलत उपयोग होगा, इस डर से सत्य बोलने तुम्हारा होगा। और चूंकि तुम उपद्रव से ग्रस्त हो, तुम जो भी से नहीं रुका जा सकता। सौ में निन्यानबे लोग गलत अर्थ कर अर्थ डालोगे वह भी उपद्रव-ग्रस्त होगा। क्योंकि तुम बड़े भ्रांत लेंगे, कोई हर्ज नहीं; वह जो एक ठीक अर्थ कर लेगा, तो भी हो, तुम्हारे अर्थ भ्रांत ही होंगे। तुम गलत ही निकाल लोगे। सार्थक है बोलना। क्योंकि वे जो निन्यानबे गलत अर्थ कर रहे तो इसका तो यह अर्थ हुआ कि जिन्होंने जाना है, वे चुप रह हैं, न सुनते तो भी गलत होते, कुछ बिगड़ा नहीं है। वे गलत थे, जायें। लेकिन चुप रह जाने का भी तुम अर्थ करोगे कि क्यों चुप इसलिए गलत अर्थ किया; गलत अर्थ के कारण गलत नहीं हो रह गये। बुद्ध ने बहुत-से प्रश्नों के उत्तर नहीं दिये-सिर्फ इस गये हैं। इसलिए अगर उन्होंने गलत अर्थ किया तो उनकी जिंदगी 3451 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org