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________________ उठो, जागो-सुबह करीब है यह मुझे पता है कि प्रेम खतरनाक शब्द है। सभी जीवंत शब्द | है? कि तुम हीरे से बचोगे? हीरे का काम किसी का सिर तोड़ खतरनाक होते हैं। डालना नहीं है। यह तो छोटे-मोटे पत्थर से भी हो सकता था। अहिंसा क्लीनिकल है। अहिंसा बिलकुल अस्पताल में धोया, | मनुष्य ने प्रेम का, प्रेम-ऊर्जा का बड़ा निम्नतम उपयोग किया पोंछा, साफ-सुथरा शब्द है। उसमें रोगाणु हैं ही नहीं। जीवाणु है, क्षुद्रतम उपयोग किया है। वह उपयोग है-और संतति को ही नहीं हैं तो रोगाणु कहां से होंगे? वह बड़ा डाक्टरी शब्द है। पैदा करना। प्रेम का जो परम उपयोग है, वह स्वयं को जन्म देना उसमें काफी औषधियां छिड़की गई हैं। पर वह पीने योग्य भी है। प्रेम का जो साधारण उपयोग है, वह दूसरे को जन्म देना है। नहीं रहा, जैसा बहुत पोटेशियम डाल दिया हो पानी में। प्रेम की जो आखिरी पराकाष्ठा है, वह अपने को जन्म देना प्रेम बड़ा जीवंत शब्द है—होना ही चाहिए; क्योंकि सारा है-आत्म-जन्म। प्रेम की जो आखिरी पराकाष्ठा है, वह बाहर जगत प्रेम से जीता है। तुम जन्मे हो प्रेम से। तुम जीओगे प्रेम | दिखाई पड़नेवाली देहें, शरीर, रूप, रंग, इन पर ही समाप्त नहीं में। और काश, तुम मर भी सको प्रेम में, तो धन्यभागी हो! हो जाती। रंग में जो छिपा है, रूप में जो छिपा है, दृश्य में जो जन्मते सभी हैं, जीते बहुत कम हैं; मरते तो कभी-कभी कोई हैं। छिपा है, जब वह दिखाई पड़ने लगे, तब तुम समझना कि तुमने जन्मते सभी प्रेम में हैं। प्रेम का पूरा उपयोग किया। इसलिए प्रेम की प्रबल आकांक्षा जीवन में होती है—प्रेम तुम्हारे पास रोशनी है, लेकिन रोशनी से अगर तुम जिंदगी की मिले, प्रेम बंटे, प्रेम दिया जाये, प्रेम लिया जाये। जीवन का गंदगी ही देखते फिरो तो रोशनी का कोई कसूर नहीं है। यह सारा आदान-प्रदान प्रेम के सिक्कों का है। प्रेम से मत भागना; रोशनी तुम्हें जिंदगी का परम रूप भी दिखा सकती थी। क्योंकि जो प्रेम से भागा, वह जीवन से भागा, और जो जीवन से है तेरा हुस्न जब से मेरा मरकजे-निगाह भागा वह परमात्मा के मंदिर को कभी भी खोज न पायेगा। हर शै है एतबारे-नजर से गिरी हुई। मछली की तरह तड़पायेगा अहसास तुझे पायाबी का और एक बार उसका रूप तुम्हें थोड़ा दिखाई पड़ने लगे, थोड़ी जीना है तो अपने दरिया में इमकाने-तलातुम रहने दे। उसकी झलक आने लगे, उसके हुस्न की, उसके सौंदर्य की; -घबड़ा मत तूफानों से। अगर जीना है... फूलों में से कभी तुम्हें उसकी आंख भी झांकती दिखाई पड़ने जीना है तो अपने दरिया में इमकाने-तलातुम रहने दे लगे; सागर की लहरों में कभी तुम्हें उसकी भी लहर का अनुभव -रहने दे आंधियों, तूफानों की संभावना। अगर आंधी और | हो जाये... तूफान की सारी संभावना काट दी, तो दरिया दरिया न रह है तेरा हुस्न जब से मेरा मरकजे-निगाह! जायेगा, छिछला हो जायेगा। तुम्हारी आंख में जरा उसके सौंदर्य की छाया बनने लगे, / मछली की तरह तड़पायेगा अहसास तुझे पायाबी का-फिर प्रतिबिंब, परछाई पड़ने लगे... उथला पानी तुझे मछली की तरह तड़पायेगा। तूफान रहने दो; | हर शै है एतबारे-नजर से गिरी हुई! क्योंकि तूफानों से टक्कर लेकर ही जीवन निखरता है। तूफानों में उसी दिन से सब चीजें मूल्य खो देंगी। उसी दिन से तुम धन, से गुजरकर ही जीवन का निखार आता है। पद, प्रतिष्ठा, देह, वस्तुएं, इन सब का मूल्य गिर जायेगा। प्रेम को मैं धर्म कहता हूं। लेकिन कठिन है, क्योंकि तुमने प्रेम महावीर कहते हैं, इन सब का मूल्य गिरा दो तो सत्य तुम्हें को केवल वासना की तरह जाना है। इसलिए तुम्हारे डर को मैं | उपलब्ध हो जायेगा; मैं तुमसे कहता हूं कि तुम परमात्मा का समझता हूं। तुम घबड़ाये हो! प्रेम? प्रेम से तो तुमने केवल थोड़ा इशारा खोजने लगो, थोड़ा उसका हुस्न तुम्हारी आंख में वासना जानी है। प्रेम से तो तुमने अपने बहुत निम्नतम रूप का | उतरने लगे, थोड़ा उसका नशा तम्हें मदमस्त करने लगे तो चीजें ही संबंध जोड़ा है। यह तुम्हारी भूल है, इसमें प्रेम का कोई कसूर अपने-आप छूट जायेंगी। नहीं। अब किसी आदमी के हाथ में हीरा हो और वह उसको और ये दो ही रास्ते हैं : या तो चीजें छोड़ो, तो सत्य का दर्शन किसी के सिर में मारकर सिर तोड़ डाले तो इसमें हीरे का कसूर होता है; या सत्य का दर्शन शुरू करो, तो चीजें छूट जाती हैं। 353 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340116
Book TitleJinsutra Lecture 16 Utho Jago Subah Karib Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size38 MB
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