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________________ वासना ढपारशख है छिपा होगा, महत्वाकांक्षा छिपी होगी। एक आदमी को कब्जे में | चम्मच से बाहर सामान भी गिर जाता, कभी चम्मच भी गिर ले लेने की आकांक्षा छिपी होगी। इसीलिए तो जिसको तुम कब्जे जाती, कभी उसके कपड़ों पर भी खाना गिर जाता। तो पत्नी में ले लेते हो, उसमें रस खो जाता है। बहुत नाराज होती थी। आखिर पत्नी ने एक दिन उसे उठा दिया किस पति को पत्नी में रस है? बड़ा रस था जब तक पाया न कुर्सी से, खाने की टेबल पर से, कोने में ले जाकर बिठा दिया था। तब तक जान दांव पर लगा देने को तैयार थे। मिलते ही और कहा कि चम्मच से अब खाना तुम बंद करो! एक बर्तन में सब हाथ-पैर ढीले हो जाते हैं, बात खतम हो गई! क्योंकि जो इकट्ठा सब भोजन रख दिया और कहा कि इसी से तुम भोजन रस था, वह जीतने में था। जो रस था, वह चुनौती में था। अब करो। उस दिन से बूढ़े को टेबल पर आने की मनाही हो गई। चुनौती दूसरी स्त्रियों से आती है, पत्नी से नहीं आती। पत्नी तो लेकिन बूढ़ा बूढ़ा होता जा रहा था और हाथ-पैर उसके कंपते थे जीत ली। अब जीते हुए को क्या जीतना! कोई भी रास्ते से और अब और कंपने लगे। क्योंकि अब घर में यह स्थिति हो गई गुजरती स्त्री आकर्षण का कारण बन जाती है, क्योंकि फिर, फिर कि आदमी की आदमी की तरह गिनती न रही। एक दिन उसके कोई विजय की यात्रा के लिए एक निमंत्रण मिला। प्रेम के नाम हाथ से बर्तन भी छूट गया, तो उसकी बहू ने कहा कि 'अब पर जीत की आकांक्षा होगी। जीत यानी अहंकार। और फिर प्रेम बहुत हो गया! अब तुम्हें तो जानवरों जैसी व्यवस्था करनी के नाम पर कब्जियत की दौड़ चलती है, कौन कब्जा करे! कौन पड़गी।' तो उसने एक बड़ी बालटी में उसके सामने भोजन असली मालिक है, यह तय करने में जिंदगी खराब हो जाती है। रखना शुरू कर दिया; जैसे गाय-भैंस का रखते हों। हर छोटी-बड़ी बात पर झगड़ा चलता है। कलह, एक-दूसरे को ऐसा कुछ दिन चला। इस युवती का छोटा बेटा था। वह यह आज्ञा में रखने की चेष्टा!...बाप बेटे से कहता है कि मेरी सब देखता रहता था। एक दिन वह बाहर से, बढ़ई कुछ काम मानकर चल, क्योंकि मुझे तुझसे प्रेम है। मैं जो कहता हूं वैसा कर रहा था घर में, लकड़ी के टुकड़े उठा लाया और उन्हें कर, क्योंकि मुझे तुझसे प्रेम है। मैं जो कहता हूं, उससे विपरीत जोड़-जोड़कर कुछ बनाने लगा। तो उसकी मां ने और उसके मत करना, क्योंकि मुझे तुझसे प्रेम है। मैं तेरे हित में कह रहा हूं! | पिता ने, दोनों टेबल पर बैठे थे, पूछा, 'क्या कर रहे हो?' तो अपना हित साध नहीं पाये, दूसरे का हित तुम क्या साधोगे? | उसने कहा कि मैं भी आप दोनों के लिए, जब आप बूढ़े हो खुद कोरे के कोरे रह गये, बेटे को उपदेश दिये जा रहे हो! बेटा जाएंगे, तो यह लकड़ी की बालटी बना रहा हूं। भी सुन लेता है जब तक कमजोर है। वह भी देखता है कि ठहरो स्वभावतः सब चीजें वर्तुल में घूमती हैं। जो तुम अपने बाप के थोड़े, जल्दी ही मैं भी शक्तिशाली हो जाऊंगा। तो अगर बेटे साथ कर रहे हो, याद रखना, बेटा तुम्हारे साथ करेगा! ध्यान जवान होकर बाप को सताने लगते हैं, यह कुछ आकस्मिक नहीं रखना, जो बेटा तुम्हारे साथ कर रहा है, वह तुमने अपने बाप के है। हर बाप ने बेटे को, जब वह छोटा था, सताया है-उसके साथ किया था। और ध्यान रखना, तुम जो बेटे के साथ अभी ही हित में सताया है; मगर सताया है। हित की बातें तो सब कर रहे हो, वह कल लौटायेगा। क्योंकि जिंदगी में कोई भी चीज व्यर्थ की बकवास है-सताने का मजा...! रुकती नहीं, लौटानी पड़ती है। बूढ़े हो जाने पर बेटा उत्तर देने लगता है। जो दिया था, वह सोच-समझकर! प्रेम के नाम पर अधिकार, गुलामी मत वापिस लौटने लगता है। थोपना। क्योंकि प्रेम तो परम स्वतंत्रता है। जिसको प्रेम है, वह मैंने सुना है, एक घर में शादी होकर, पत्नी आयी। तो बूढ़ा अकारण है। वह कुछ भी थोपता नहीं। प्रेम का अर्थ ही होता है: बाप, पति का बाप, उसे पसंद नहीं पड़ता था। किसी को पसंद दूसरे को दूसरा होने देने की स्वतंत्रता। दूसरा जैसा है उसको नहीं पड़ता। वह चाहती थी कि किसी तरह इस बूढ़े से छुटकारा वैसा ही अंगीकार कर लेने की क्षमता प्रेम है। न उसे बदलना हो। एक बोझ...। लेकिन कोई उपाय न था। कहीं जाने की | है-बड़े-बड़े आदर्शों के नाम पर भी नहीं, क्योंकि सब आदर्श कोई जगह न थी। बूढ़े को वहां रहना ही पड़ा। वह बहुत बूढ़ा हो | मालकियत करने के ढंग हैं। तुम बेटे से कहते हो, यह आदत गया था। उसके हाथ भी कंपते थे। भोजन करता तो कभी-कभी गलत है, इसे छोड़ो। अब तुम आदत के बहाने बेटे की गर्दन पर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340113
Book TitleJinsutra Lecture 13 Vasna Dhapor Shankh Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size33 MB
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