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________________ HERI वासना ढपारशख है है अब जिंदगी सायए इश्क में हम तो सोचते हैं, क्रोध बलवान है। बस यही धार्मिक और ज़रा मोत दामन बचा कर चले अधार्मिक आदमी का अंतर है। वह शोलों से अकसर रहे हमकिनार अगर तुम मुझ से पूछो तो धार्मिक आदमी वह है जो यह जान जो फूलों से दामन बचा कर चले। गया कि कोमल अंततः जीतता है; जिसका भरोसा फूल पर आ -जिंदगी अब प्रेम के साथ है, प्रेम की छाया में है। गया और पत्थर से जिसकी श्रद्धा उठ गई। और अधार्मिक है अब जिंदगी सायए इश्क में आदमी वह है, जो भला फूल की प्रशंसा करता हो, लेकिन जब ज़रा मौत दामन बचा कर चले। समय आता है तो पत्थर पर भरोसा करता है। -अब जरा मौत होशियारी से चले, क्योंकि जो प्रेम के साये महावीर की अहिंसा अनुयायियों के हाथ में पड़कर विकृत हो में आ गया उसकी कोई मौत नहीं। वह अमृत को उपलब्ध हो गयी, निषेध हो गयी है। वह बड़ा विधायक जीवन-स्रोत था। जाता है। | लेकिन हमारी अड़चन है। जो भी हम सुनते हैं, उसका हम अर्थ और प्रेम फूल जैसा है। मौत अंगार जैसी है। लेकिन इस | अपने हिसाब से लगाते हैं। अगर कोई मर गया-किसी का जीवन की, अस्तित्व की यही महत्वपूर्ण राजभरी बात है कि प्रेमी मर गया, किसी की प्रेयसी मर गई तो हम अपने हिसाब अंततः फूल जीतते हैं, अंगार हार जाते हैं। अंततः कोमल जीतता से अर्थ लगाते हैं। जिसकी प्रेयसी मर गई है या प्रेमी मर गया है, है, कठोर हार जाता है। गिरता है पहाड़ से जल, कोमल जल, उसे अगर हम रोता नहीं देखते, आंख में आंसू नहीं देखते, तो क्षीणदेह जलधार, बड़ी-बड़ी चट्टाने मार्ग में पड़ी होती हैं—कौन हम सोचते हैं, 'अरे! तो कुछ दर्द नहीं हुआ, दुख नहीं हुआ? सोचेगा कि ये चट्टानें कभी कट जायेंगी! लेकिन एक दिन रोई भी नहीं? तो कोई लगाव न रहा होगा। तो कोई चाहत न रही धीरे-धीरे धीरे-धीरे चट्टानें कटती जाती हैं और रेत होती जाती होगी। तो कोई प्रेम न रहा होगा।' हैं। धार बड़ी कोमल है। चट्टानें बड़ी कठोर हैं। लेकिन कोमल लेकिन तुम्हें पता है, अगर सच में ही गहरी पीड़ा हो तो आंसू सदा जीत जाता है। अंतिम विजय कोमल की है। आते नहीं! आंसू भी रुक जाते हैं। और आंसू बहुत गहरी पीड़ा वह शोलों से अकसर रहे हमकिनार के सबूत नहीं हैं—पीड़ा के सबूत हैं-बहुत गहरी पीड़ा के जो फूलों से दामन बचा कर चले। सबूत नहीं हैं। अब बड़ी कठिनाई है। आंसू तब भी नहीं आते, और जिन्होंने अपने को फूलों से बचाया, कोमलता से बचाया, | जब पीड़ा नहीं होती; और आंसू तब भी नहीं आते जब महान उनकी जिंदगी में अंगारे ही अंगारे रहे, जलन ही जलन रही। पीड़ा होती है। तो भूल-चूक की संभावना है। कभी यह भी हो तुम फूल को कमजोर मत समझना। तुम फूल को | सकता है कि रूखी आंखों को देखकर तुम सोचो कि कोई पीड़ा महाशक्तिशाली समझना। पत्थर कमजोर हैं; यद्यपि दिखाई नहीं हुई; और कभी यह भी हो सकता है, क्योंकि मैं कहता हूं यही पड़ता है कि पत्थर बड़े मजबूत, बड़े शक्तिशाली हैं। रूखी आंखों में बड़ी गहरी पीड़ा है कि आंसू भी नहीं बह रहे, तो लेकिन पत्थर मुर्दा हैं, शक्तिशाली हो कैसे सकते हैं? फूल | फिर उसको भी तुम समझ लो कि बड़ी गहरी पीड़ा हो रही है जीवंत है। उसके खिलने में जीवन है। उसकी सुगंध में जीवन | जिसको कोई पीड़ा नहीं हुई। जिंदगी में शब्द सीमित हो जाते हैं। है। उसकी कोमलता में जीवन है। अस्तित्व में शब्दों की कोई सीमा नहीं है। वहां तो हमें प्रत्येक अकसर हम हिंसा के लिए राजी हो जाते हैं, क्योंकि हिंसा | घटना को उसके निजी व्यक्तित्व में देखना चाहिए। कोई पुरानी लगती है ज्यादा मजबूत, शक्तिशाली! अहिंसा, प्रेम लगता है | परिभाषा से नहीं चलना चाहिए। कमजोर। हम जल्दी भरोसा कर लेते हैं हिंसा पर; अहिंसा पर | शक न कर मेरी खुश्क आंखों पर भरोसा नहीं कर पाते, क्योंकि फूलों पर हमारा भरोसा उठ गया | यूं भी आंसू बहाए जाते हैं। है। कोमल की शक्ति को हम भूल ही गये हैं। विनम्र की शक्ति | -यह भी एक ढंग है। को हम भूल गए हैं। प्रेम बलवान है, यह हमें याद भी न रहा है। तो तुम जल्दी से निर्णय मत लेना। महावीर ने प्रेम की ही बात 293 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340113
Book TitleJinsutra Lecture 13 Vasna Dhapor Shankh Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size33 MB
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