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________________ - जिन सूत्र भागः 1 THIRUCHAR hindi है, पंक्ति है, रेखा है। दो बिंदुओं के बीच जो सीधी रेखा है, वही ऋजुता है। जो जब कोई व्यक्ति तुमसे कुछ पूछता है, तब तुम दो तरह का कहना है, जो करना है, जो चाहना है—वही कहो। जो कहते हो व्यवहार कर सकते हो : या तो इरछे-तिरछे जाओ, गली-कूचों वही हो जाओ: ऋजुता का अर्थ है। नहीं तो उलटा होता है। तुम से घूमो, सीधे न जाओ, सीधी बात न करो, चालबाजी चलो; जाते हो किसी के पास, तुम कहते हो...। तुम हंस रहे हो इस | कुछ कहना चाहते हो, कुछ कहो; कुछ बताना चाहते हो, कछ बात पर, लेकिन अगर खोजोगे तो इस उलटी खोपड़ी को हर बताओ। खोपड़ी में छिपा हुआ पाओगे। तुम किसी के पास जाते हो, तुम कहते हैं, मुल्ला नसरुद्दीन बचपन से ही उलटी खोपड़ी था। कहते हो कि आप के चरण की धूल हूं, मैं तो कुछ भी नहीं! तुम उलटी खोपड़ी यानी उससे जो भी कहो, वह उससे उलटा चाहते यह हो कि वह कहे, 'अरे आप और चरण की धूल! करेगा। तो मां-बाप समझ गये थे। क्या करोगे, अब उलटी आप बड़े महापुरुष हैं।' अब समझो कि वह दूसरा आदमी कहे खोपड़ी है...। तो उसको वे वही कहते जो वे चाहते थे कि वह न कि बिलकुल ठीक कह रहे हैं आप, चरण की धूल तो हैं ही, करे। और जो वे चाहते कि वह करे, उससे उलटा कहते। जैसे इसमें कहने का क्या है! तो आप नाराज हो जायेंगे कि हद्द हो अगर उनको चाहिए कि वह चुप बैठे तो वे कहते, 'बेटा! जरा गई; इस आदमी को शिष्टाचार भी नहीं आता! शोरगुल कर।' तो वह चुप बैठ जाता। समझ गये एक दफे तुम जरा खयाल करना, तुम्हारी जिंदगी में यह उलटी खोपड़ी गणित, तो वे वैसे ही चलते। काफी समायी हुई है। तुम चाहते कुछ और हो, कहते कुछ और एक दिन बाप बेटे के साथ लौट रहा था, नदी पार कर रहे थे। हो। यह धोखा फैला चला जाता है। गधे पर शक्कर के बोरे लादे हुए थे। बीच नदी में बाप ने देखा महावीर कहते हैं, 'ऋजुता से माया को...।' वह जो कपट कि बोरे बाईं तरफ झुके जा रहे हैं। नसरुद्दीन के गधे पर जो बोरे है, तिरछापन है, उसको ऋजुता से जीत लो। क्योंकि जितने तुम थे वे बाईं तरफ झुके जा रहे हैं। तब वह चाहता था कि बेटा उन्हें कपट से भरते जाओगे, उतनी जीवन में उलझन होगी; उतना दाईं तरफ थोड़ा सरकाये। लेकिन वैसा कहो कि दाईं तरफ | तुम्हारा जीवन पांखों में कट जायेगा। सरकाओ तो तो वह कभी सरकायेगा नहीं। तो उसने कहा, सरल व्यक्ति शांत होता है। देखा तुमने! जब भी तुम झूठ 'बेटा, बोरों को जरा बाईं तरफ सरका।' बाईं तरफ वे खुद ही बोलते हो, तभी अशांति होती है। क्योंकि फिर याद रखना पड़ता सरक रहे थे। मगर उस दिन चकित होकर बाप को देखना पड़ा | है झूठ को कि किससे क्या बोले। जो आदमी झूठ ही बोलता कि बेटे ने उनको बाईं तरफ ही सरका दिया। सब बोरे नदी में गिर रहता है सबसे, उसका जरा हिसाब तो समझो। एक बात तो गये। बाप ने कहा, 'यह तेरा व्यवहार आज कुछ संगत नहीं!' माननी पड़ेगी, उसकी स्मृति की दाद देनी पड़ेगी। याददाश्त तो उसने कहा, 'अट्ठारह साल का हो गया; अब मैं भी समझने देखो! याद रखना पड़ता है। सत्य को याद रखने की कोई भी लगा तरकीब। अब तो तुम जो कहोगे, उसके उलटा न करूंगा; जरूरत नहीं है। जो व्यक्ति सचाई से जीता है, उसे याददाश्त की अब तो तुम जो चाहते हो, उसके उलटा करूंगा।' जरूरत ही नहीं है; क्योंकि सच हमेशा वही का वही है। लेकिन लेकिन बाप भी आखिर नसरुद्दीन का बाप! उसने भी तरकीब तुमने एक से कुछ कहा, दूसरे से कुछ कहा, तीसरे से कुछ निकाल ली। अब बात और भी तिरछी हो गई। कहा-फिर हिसाब रखना पड़ता है, पहले से क्या कहा, दूसरे अगर बाप को चाहिए कि बोरे दाएं तरफ सरकाये जाएं, तो से क्या कहा, तीसरे से क्या कहा। पहले तो वह कहता था कि बाएं तरफ सरकाओ; अब अगर दाएं मुल्ला नसरुद्दीन दो स्त्रियों के प्रेम में था। बहुत कम लोग हैं तरफ ही सरकवाना हो तो कहना पड़ता है कि दाएं तरफ | जो एक स्त्री के प्रेम में हों। द्वैत हमारा सभी जगह होता है। तो सरकाओ। क्योंकि बेटा सोचेगा, यह बाएं तरफ सरकवाना एक स्त्री से कहता है कि तुझसे सुंदर इस जगत में कोई भी नहीं; चाहता है, इसलिए दाएं तरफ सरकवायेगा। अब और तिरछी हो। | दूसरी से भी यही कहता है कि तुझसे सुंदर इस जगत में कोई गई बात। गणित और उलझ गया। नहीं। दोनों बातें झूठ थीं। कम से कम एक तो झूठ थी ही। एक 244 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340111
Book TitleJinsutra Lecture 11 Adhyatma Prakriya Hai Jagran Ki
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Jinsutra_MP3_and_PDF_Files
File Size37 MB
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