________________ सच्चाम्मि वसदि तवो, सच्चाम्मि संजमो तह वसे तेसा वि गुणा। सच्चं णिबंधणं हि य, गुणाणमुदधीव मच्छाणं / / 17 / / सुवण्णरूप्पस्स उ पव्वया भवे, सिया हु केलाससमा असंखया। नरस्स लुद्धस्स न तेहि किंचि, इच्छा हु आगाससमा अणन्तिया।।१८।। जहा पोम्मं जले जायं, नोवलिप्पइ वारिणा। एवं अलितं कामेहिं, तं वयं बूम माहणं / / 19 / / जीवो बंभ जीवम्मि, चेव चरिया हविज्ज जा जदिणो। तं जाण बंभचेरं, विमुक्क परदेहनित्तिस्स।।२०।। तेल्लों काडविडहनो, कामग्गी विसयरूक्खपज्जलिओ। जोव्वणतणिल्लचारी, जं ण डहइ सो हदइ घण्णो।। जा जा वज्जई रयणी, ण सा पडिनियत्तई। अहम्मं कुणमाणस्स, अफला जन्ति राइओ।।२१।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org