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________________ महावीर-वाणी भाग : 2 साधुता थी। बड़ा मुश्किल है। हां, पुरुष अपने से छोटी उम्र की लड़की से शादी करना एकदम आसान पाता है; चाहता ही है कि करे, लेकिन अपने से बड़ी उम्र की लड़की से शादी करना बड़ा उलटा मालूम होता है। लेकिन मुहम्मद ने किया। निश्चित ही, यह विवाह साधारण कामुक-यौन संबंध नहीं था। और जिस पहली स्त्री से उन्होंने विवाह किया, उस स्त्री ने सबूत भी दिया; क्योंकि वही स्त्री पहली मुसलमान होनेवाली थी-पहली / जिस दिन इलहाम हुआ मुहम्मद को, जिस दिन कुरान की पहली आयत उन पर उतरी, तो वे इतने घबड़ा गये, क्योंकि वे बिलकुल गैर पढ़े-लिखे थे, और बहुत सीधे-साधे आदमी थे। उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि परमात्मा की कोई शक्ति मुझे अपना वाहन चुन सकती है। वे इतने घबड़ा गये कि उनके हाथ-पैर कंपने लगे। वे घर आकर कम्बल ओढ़कर सो गये / उनकी पत्नी ने कहा कि तुम्हें हुआ क्या? तुम बिलकुल ठीक गये थे। उन्होंने कहा कि पूछ ही मत / तीन दिन तू मुझसे बात ही मत कर / मैं बहुत घबड़ा गया हूं। तीन दिन में वे आश्वस्त हुए। हिम्मत उन्होंने जुटायी कि मैं कहूं / क्योंकि उन्हें लगा कि लोग क्या कहेंगे कि एक गंवार, अपढ़, मुहम्मद यह पैगम्बर हो गया! अहंकार-लोग कहेंगे कि अहंकारी हो गया। मैं सीधा-साधा आदमी, पैगम्बर होने की कभी सोची भी नहीं। तीन दिन बाद उन्होंने अपनी पत्नी को डरते हुए कहा कि तू किसी से कहना मत / मेरे भीतर कुछ घटा है। और मैं वही नहीं रहा, जो मैं था। और कोई आवाज मुझ पर उतरी है, जो अनंत की मालूम पड़ती है, परमात्मा की; मुझे पता नहीं है, किसकी है। लेकिन आवाज बलशाली है, और उसने मुझे पूरी तरह तोड़ डाला है और बदल दिया है। तू किसी को कहना मत, खादीजा! खादीजा को श्रद्धा आ गयी महम्मद की आंखों में देखकर-और उसने कहा कि तम मझे दीक्षित करो, खादीजा पहली मुसलमान थी। उसने भरोसा किया। यह प्रेम, यह विवाह साधारण यौन तल पर नहीं था। यह प्रेम-विवाह, सच में पूछा जाये, तो गुरु-शिष्य के तल पर ही था / यह श्रद्धा का ही एक संबंध था। ___ पर मुश्किल है। हम सोच नहीं सकते; क्योंकि अपनी धारणा हम आरोपित करते हैं। हमारी अपनी साधु की धारणा है, वह हम आरोपित करते हैं। जब कोई आदमी उस धारणा में फिट बैठ जाता है, ठीक बैठ जाता है, तो हम कहते हैं, 'साध'; नहीं बैठता, तो 'असाधु'। महावीर सम्यक-दी उसको कहते हैं, जो अपनी धारणायें दूसरों पर नहीं लादता / जो दूसरों को देखता है, जैसे वे हैं-निष्पक्ष; हर चीज को वैसा ही देखता है, जैसी वह है। जो अपनी तरफ से कोई ताल-मेल नहीं बिठाता। जो अपने को चीजों में नहीं डालता। बड़ी हैरानी होगी; आपकी जिन्दगी बदल जाए, अगर आप सम्यक-दर्शी हो जायें। क्योंकि तब आपके हाथ में कोहिनूर कोई रख दे, तो आप वही देखेंगे, जो है; कोहिनूर का इतिहास नहीं पढ़ेंगे। आप समझ भी नहीं पायेंगे कि कोई सैकड़ों लोग मर गये हैं इसके पीछे—इस पत्थर के पीछे / आप कहेंगे, यह पत्थर ही है। ___एक छोटे बच्चे को कोहिनूर दे दें, वह थोड़ी देर में खेल-खालकर, फेंककर भूल जायेगा; क्योंकि उसके पास कोई प्रोजेक्शन नहीं है अपना डालने को। लेकिन आपके हाथ में कोहिनूर आ जाए तो आप दीवाने हो जायेंगे। फिर आप चैन से नहीं रह सकते; फिर रात सो नहीं सकते। फिर आप पागल हो जायेंगे / वह पागलपन कौन पैदा कर रहा है? कोहिनूर पैदा कर रहा है, आप कुछ धारणा कोहिनूर पर डाल रहे हैं, लेकिन कोहिनूर तो पत्थर है। और अगर पत्थर हंसते हैं, तो जरूर हंसते होंगे आदमियों पर कि आदमी भी कैसे पागल हैं कि पत्थरों के पीछे इस बुरी तरह उलझे हैं! इस बुरी तरह पागल हैं! हम अपनी धारणायें हर चीज में डाल रहे हैं, और हर चीज को हम वैसा देखते हैं, जैसा हम देखना चाहते हैं; वैसा नहीं जैसी वह 418 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340047
Book TitleMahavir Vani Lecture 47 Bhikshu ki Yatra Antaryatra Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size78 MB
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