________________ लोकतत्व-सूत्र : 1 धम्मो अहम्मो आगासं, कालो पुग्गल जन्तवो। एस लोगो त्ति पण्णतो, जिणेहिं वरदंसिहि।। गइलक्खणो उ धम्मो, अहम्मो ठाणलक्खणो। भायणं सव्वदव्वाणं, नहं ओगाहलक्खणं।। बत्तणालक्खणो कालो, जीवो उवओगलक्खणो। नाणेणं दंसणेणं च, सुहेणं य दुहेण य।। धर्म, अधर्म, आकाश, काल, पुदगल और जीव-ये छह द्रव्य हैं / केवल दर्शन के धर्ता जिन भगवानों ने इन सबको लोक कहा है। धर्म द्रव्य का लक्षण गति है; अधर्म द्रव्य का लक्षण स्थिति है, सब पदार्थों को अवकाश देना-आकाश का लक्षण है। काल का लक्षण वर्तना (बरतना) है, और उपयोग अर्थात अनुभव जीव का लक्षण है। जीवात्मा ज्ञान से, दर्शन से, दुख से तथा सुख से जाना पहचाना जाता है। 178 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.