________________ धम्म-सूत्र : 2 जरामरणवेगेणं, वुज्झमाणाण पाणिणं / धम्मो दीवो पइट्ठा य, गई सरणमुत्तमं / / जरा और मरण के तेज प्रवाह में बहते हुए जीव के लिए धर्म ही एकमात्र द्वीप, प्रतिष्ठा, गति और उत्तम शरण है। 348 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org