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________________ धर्म : एक मात्र शरण क्या संभव है। बुद्धिमान आदमी वह है, जो जानता है क्या असंभव है और क्या संभव है। एक बात निश्चित रूप से असंभव है कि जरा-मरण के तेज प्रवाह में कोई शरण नहीं है। यह असंभव है। इसमें पैर जमाकर खड़े हो जाने का कोई भी उपाय नहीं है। इस असंभव के लिए जो चेष्टा करते हैं, वे मूढ़ हैं। असंभव का मतलब यह नहीं होता है कि थोड़ी कोशिश करेंगे तो हो जायेगा। असंभव का मतलब यह नहीं होता कि संकल्प की कमी है, इसलिए नहीं हो रहा है। असंभव का मतलब यह नहीं होता है कि ताकत कम है, इसलिए नहीं हो रहा है। असंभव का मतलब होता है-स्वभावतः जो हो नहीं सकता, प्रकृति के नियम में जो नहीं हो सकता। ___ महावीर यह नहीं कहते कि आकाश में उड़ना असंभव है। जो कहते हैं, वे गलत साबित हो गये। और महावीर जैसे आदमी कभी नहीं कहेंगे कि आकाश में उड़ना असंभव है। जब पशु-पक्षी उड़ लेते हैं, तो आदमी उड़ ले; इसमें कोई बहुत असंभावना नहीं है। जब पशु-पक्षी उड़ लेते हैं, तो आदमी भी कोई इंतजाम कर लेगा और उड़ लेगा। चांद पर पहुंच जाना, महावीर नहीं कहेंगे असंभव है। क्योंकि चांद और जमीन के बीच फासला कितना ही हो, आखिर फासला ही है। फासले पूरे किये जा सकते हैं। कारण पश्चिम में धर्म की प्रतिष्ठा गिर गयी। धर्म की प्रतिष्ठा गिरने का कारण यह बना कि ईसाइयत ने ऐसे दावे किए थे कि यह हो ही नहीं सकता, वह हो गया। जब हो गया तो फिर ईसाइयत मुश्किल में पड़ गयी। लेकिन इस मामले में भारतीय धर्म अति वैज्ञानिक हैं। __ महावीर ने ऐसा कोई दावा नहीं किया है, जो विज्ञान किसी दिन गलत कर सके। जैसे यह दावा, महावीर कहते हैं-'जरा मरण के तीव्र प्रवाह में कोई शरण नहीं है।' इसे कभी भी, कोई भी स्थिति में गलत नहीं किया जा सकता। क्योंकि वह गहरे से गहरा जीवन के नियम का हिस्सा है। शरण मिल सकती है उसमें, जो स्वयं परिवर्तित न होता हो, जो स्वयं ही परिवर्तित हो रहा है, उसमें शरण कैसी! शरण का मतलब होता है-आप मेरे पास आये, और आपने कहा कि मुझे शरण दें, दुश्मन मेरे पीछे लगे हैं, मुझे बचायें। मैं आपको कहता हूं कि ठीक है, मैं आपको आश्वासन देता हूं कि मैं आपको बचाऊंगा। लेकिन मेरे आश्वासन का मतलब तभी हो सकता है, जब मैं कल भी मैं ही रहूं। कल जब मैं ही नहीं रहूंगा, तो दिये गये आश्वासन का कितना मूल्य है? मैं खुद ही बदल रहा हूं, तो मेरे आश्वासन का क्या अर्थ है? कीर्कगार्ड ने कहा है कि मैं कोई आश्वासन नहीं दे सकता–आई कैन नाट प्रामिस ऐनीथिंग। इसलिए नहीं दे सकता, कि मैं किस भरोसे आश्वासन दूं, कल सुबह मैं ही मैं रह जाऊंगा, इसका कोई पक्का नहीं। तो जिसने आश्वासन दिया था, वही जब नहीं रहेगा, तो आश्वासन का क्या अर्थ है? जो खुद बदल रहा है, वह क्या आश्वासन दे सकता है? जहां परिवर्तन ही परिवर्तन है, वहां शरण कैसी? ___ करीब-करीब ऐसा है कि दोपहर है और घनी धूप है, और आप एक वृक्ष की छाया में बैठ गये हैं। लेकिन आपको पता है कि वृक्ष की छाया बदल रही है। थोड़ी देर में यह हट जायेगी। यह वृक्ष की छाया शरण नहीं बन सकती, क्योंकि यह छाया है और बदल रही है, यह परिवर्तित हो रही है। ___ इस जगत में जहां-जहां हम शरण खोजते हैं, वे सभी कुछ परिवर्तित हो रहे हैं। जिसे हम पकड़ते हैं, वह खुद ही बहा जा रहा है। बहाव को हम पकड़ने की कोशिश करते हैं और उस आश्वासन में जीते हैं, जो खुद बदल रहा है। उसके साथ कैसी शरण संभव हो सकती इसलिए महावीर कहते हैं-'जरा-मरण के तीव्र प्रवाह में कोई भी शरण नहीं है। 357 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.340019
Book TitleMahavir Vani Lecture 19 Dharm Ek Matra Sharan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages1
LanguageHindi
ClassificationAudio_File, Article, & Osho_Rajnish_Mahavir_Vani_MP3_and_PDF_Files
File Size74 MB
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